BY: Yoganand Shrivastva
ग्वालियर: एक बार फिर कोरोना ने जान ली है, और इस बार मामला केवल संक्रमण का नहीं बल्कि जानकारी छिपाने का भी है। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल (जेएएच) में एक 55 वर्षीय महिला की कोविड संक्रमण से मौत हो गई, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इस खबर को दिन भर दबाए रखा। देर रात यह जानकारी जब लीक हुई, तब जाकर पूरा मामला सामने आया।
कैसे बिगड़ी महिला की तबीयत
महिला की पहचान भूरीबाई, निवासी बरासों गांव, भिंड के रूप में हुई है, जो ग्वालियर में किराए से रहती थीं। 12 जून को सर्दी, खांसी और बुखार की शिकायत पर उन्हें ग्वालियर के एक ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालात में कुछ सुधार के बाद 15 जून को वह अपने गांव लौट गईं। लेकिन दो दिन बाद फिर तबीयत बिगड़ने पर उन्हें भिंड के विवेकानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पॉजिटिव रिपोर्ट, बिगड़ती हालत और जेएएच रेफर
18 जून को सांस लेने में तकलीफ के कारण महिला का कोविड सैंपल लिया गया, जिसकी रिपोर्ट उसी शाम पॉजिटिव आई। हालत लगातार खराब होती गई, जिसके बाद 22 जून को महिला को ग्वालियर के जेएएच अस्पताल रेफर किया गया। वहां इलाज के दौरान 23 जून की देर रात महिला की मौत हो गई।
अस्पताल ने छिपाई मौत की खबर
हैरानी की बात यह रही कि महिला की मौत के बाद मंगलवार दिनभर अस्पताल प्रबंधन ने मौत की सूचना दबाए रखी। लेकिन रात को यह खबर भिंड तक पहुंच गई, जिससे मामला उजागर हो गया।
प्रशासन ने दी प्रतिक्रिया
भिंड के प्रभारी सीएमएचओ डॉ. आलोक शर्मा ने कहा कि उन्हें ग्वालियर के जेएएच में महिला की मौत की सूचना मिली है, लेकिन अभी अस्पताल प्रबंधन से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई है। वह बुधवार सुबह पूरे मामले की जानकारी लेंगे।
निजी अस्पताल ने झाड़ा पल्ला
विवेकानंद अस्पताल के संचालक योगेंद्र यादव ने स्वीकार किया कि महिला को जेएएच रेफर किया गया था और वह कोविड पॉजिटिव थीं, लेकिन मौत की जानकारी उन्हें नहीं है।
ग्वालियर में कोरोना का मौजूदा हाल
हालांकि ग्वालियर में अब कोविड की स्थिति नियंत्रण में है, लेकिन बीते 22 दिनों में 70 नए मरीज सामने आ चुके हैं। इनमें 26 डॉक्टर भी शामिल हैं। मंगलवार को GRMC लैब में 14 संदिग्धों की जांच हुई, जिसमें से एक युवक संक्रमित पाया गया।
अब तक 49 मरीज ठीक हो चुके हैं और वर्तमान में सिर्फ 19 एक्टिव केस हैं। राहत की बात ये है कि ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन में ही ठीक हो रहे हैं और किसी को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं पड़ी।





