नागालैंड की राजनीति में बड़ा बदलाव हुआ है, जहाँ महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के सातों विधायक अब राज्य की सत्ताधारी पार्टी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) में शामिल हो गए हैं। इस कदम से NDPP को विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिला है, जबकि NCP की नागालैंड में पूरी तरह से राजनीतिक मौजूदगी खत्म हो गई है।
NCP के लिए बड़ा राजनीतिक झटका
अजित पवार ने रविवार को मीडिया से बातचीत में इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि नागालैंड के NCP के विधायक पिछले कुछ महीनों से विकास कार्यों और राजनीतिक समर्थन की कमी को लेकर असंतुष्ट थे।
“लगभग दो-तीन महीने पहले हमारे सात विधायक मुझसे मिले और बताया कि उन्हें वहां काम नहीं मिल रहा है। मैंने नागालैंड के मुख्यमंत्री से भी इस मामले में बात की, लेकिन असंतोष बना रहा,” पवार ने कहा।
विधायकों के असंतोष के कारण
- विकास कार्यों की कमी
- राजनीतिक प्रभावहीनता
- अपने क्षेत्र के हित में बेहतर सेवा देने की चाहत
सातों विधायकों ने मिलकर NDPP में जाने का फैसला किया ताकि वे अपने इलाकों के विकास में बेहतर योगदान दे सकें।
कायदे-कानून: एंटी-डिफेक्शन कानून लागू नहीं
अजित पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस मामले में एंटी-डिफेक्शन कानून लागू नहीं होगा क्योंकि सभी सात विधायक एक साथ NDPP में शामिल हुए हैं। भारतीय संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत, सामूहिक विधायकों के दल-बदल पर कानून लागू नहीं होता।
“चूंकि सभी सात विधायक एक साथ शामिल हुए हैं, इसलिए कानून का असर नहीं होगा,” पवार ने कहा।
नागालैंड की राजनीति पर प्रभाव
इस बदलाव से मुख्यमंत्री नेफिउ रियो की NDPP को विधानसभा में मजबूती मिली है। अब पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत है, जिससे राज्य में राजनीतिक स्थिरता बढ़ने की उम्मीद है।
दूसरी ओर, NCP के लिए यह बड़ा झटका है क्योंकि अब वह नागालैंड में किसी भी विधायक के माध्यम से मौजूद नहीं है। इससे पार्टी की रणनीति और भविष्य पर सवाल उठते हैं।
सारांश: इस घटना का मतलब क्या है?
- नागालैंड के 7 NCP विधायक NDPP में शामिल हुए।
- अजित पवार ने विधायक के असंतोष और उनके दल-बदल की पुष्टि की।
- सामूहिक दल-बदल होने के कारण एंटी-डिफेक्शन कानून लागू नहीं होगा।
- NDPP को विधानसभा में स्पष्ट बहुमत मिला।
- NCP की नागालैंड विधानसभा में पूरी तरह से मौजूदगी खत्म।