अमेरिका की संघीय अपील अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को आयात टैरिफ (Import Tariff) वसूलने की अस्थायी अनुमति दे दी है। यह फैसला उस वक्त आया है जब एक दिन पहले मैनहेटन की इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने उनके टैरिफ लगाने के फैसले को अवैध बताया था।
इस फैसले ने अमेरिकी व्यापार नीति और राष्ट्रपति की शक्तियों को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है। जानिए पूरा मामला और इसका भविष्य पर क्या असर पड़ सकता है।
क्या है मामला?
- डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति रहते हुए विदेशी आयात पर टैरिफ (शुल्क) लगाने का फैसला किया था।
- उन्होंने यह कदम आपातकालीन शक्तियों के तहत उठाया था।
- लेकिन मैनहेटन की इंटरनेशनल ट्रेड कोर्ट ने इसे अवैध बताते हुए रोक लगा दी थी।
ट्रेड कोर्ट का तर्क:
- अमेरिकी संविधान के अनुसार, विदेश व्यापार की शक्तियां संसद को प्राप्त हैं, राष्ट्रपति को नहीं।
- ट्रंप ने “व्यापक” टैरिफ लगाकर अपनी संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन किया।
ट्रंप प्रशासन की प्रतिक्रिया
ट्रेड कोर्ट के फैसले के तुरंत बाद, ट्रंप प्रशासन ने फेडरल अपील कोर्ट में अपील दायर की।
उनका मुख्य तर्क था:
- यह फैसला महीनों से जारी व्यापार वार्ता को खतरे में डालता है।
- कोर्ट का यह आदेश सरकार की विदेश और आर्थिक नीति में अनुचित हस्तक्षेप है।
फेडरल अपील कोर्ट ने क्या कहा?
अमेरिकी फेडरल अपील कोर्ट फॉर द फेडरल सर्किट ने 2 अप्रैल को लागू हुए टैरिफ को फिलहाल जारी रखने की अनुमति दे दी है।
अदालत के मुख्य बिंदु:
- प्रशासन की अपील पर तत्काल अंतरिम रोक स्वीकार कर ली गई है।
- जब तक इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय नहीं होता, ट्रंप प्रशासन टैरिफ वसूलता रहेगा।
- अगली सुनवाई की तारीख 5 जून तय की गई है।
इस फैसले का क्या मतलब है?
- व्यापारिक दृष्टिकोण से: यह फैसला ट्रंप प्रशासन को राहत देता है और मौजूदा टैरिफ व्यवस्था को बरकरार रखता है।
- संवैधानिक दृष्टिकोण से: राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों और संसद के अधिकारों के बीच की सीमाएं फिर चर्चा में आ गई हैं।
- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर: यह निर्णय अमेरिका के व्यापारिक साझेदारों के साथ चल रही बातचीत को भी प्रभावित कर सकता है।
निष्कर्ष
अमेरिकी फेडरल अपील कोर्ट का यह फैसला डोनाल्ड ट्रंप और उनकी व्यापार नीतियों के लिए अस्थायी राहत लेकर आया है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय आना अभी बाकी है। 5 जून की सुनवाई इस बात का निर्धारण करेगी कि क्या राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियों के तहत व्यापक टैरिफ लगाने की अनुमति होनी चाहिए या नहीं।