BY: Yoganand Shrivastva
पश्चिम बंगाल: सरकार अपने कर्मचारियों को वर्तमान में लगभग 18% महंगाई भत्ता (डीए) प्रदान करती है। हाल ही में बजट में ममता बनर्जी सरकार ने इसे 4% बढ़ाने की घोषणा की थी, लेकिन यह बढ़ोतरी कर्मचारियों की अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी। इस पर कई कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट तक शिकायत लेकर पहुंचे, जहाँ इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच, जिसका नेतृत्व जस्टिस संजय करोल कर रहे थे, ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया है कि वे अपने कर्मचारियों को कम से कम 25% महंगाई भत्ता दें। कोर्ट ने इस भुगतान को तीन महीनों के अंदर सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई अगस्त में निर्धारित की गई है।
हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार अपने कर्मचारियों को लगभग 18% महंगाई भत्ता देती है, जबकि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को यह भत्ता करीब 55% मिलता है। इसी तुलना को लेकर कर्मचारियों ने कोलकाता हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें केंद्र सरकार के समकक्ष भत्ता दिए जाने की मांग की गई थी। साथ ही, पिछले बकाया महंगाई भत्तों के भुगतान की भी गुहार लगाई गई थी।
मई 2022 में कोलकाता हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि राज्य सरकार कर्मचारियों को 31% महंगाई भत्ता दे। हालांकि पश्चिम बंगाल सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। यह मामला नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, लेकिन सुनवाई कई बार स्थगित होती रही।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को सही ठहराते हुए कहा है कि राज्य सरकार कर्मचारियों को कम से कम 25% महंगाई भत्ता दे। इससे राज्य के कर्मचारियों को महंगाई के बढ़ते दबाव से राहत मिलने की उम्मीद है।