अंबेडकर जयंती के मौके पर समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और मंझनपुर से विधायक इंद्रजीत सरोज ने एक बयान देकर सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। सरोज ने हिंदू देवी-देवताओं और मंदिरों को लेकर जो बातें कहीं, वो अब विवाद का विषय बन चुकी हैं।
क्या कहा इंद्रजीत सरोज ने?
कौशांबी में एक सभा को संबोधित करते हुए इंद्रजीत सरोज ने कहा:
“अगर भारत के मंदिरों में ताकत होती, तो इतिहास में मोहम्मद बिन कासिम, महमूद गजनवी और मोहम्मद गौरी जैसे हमलावर कभी यहां तक न पहुंच पाते। असली ताकत सत्ता के मंदिर में होती है, न कि पत्थरों के मंदिर में।”
उन्होंने योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए यह भी कहा:
“बाबा (योगी) अब अपने मंदिर में नहीं, सत्ता के मंदिर में विराजमान हैं और हेलिकॉप्टर से चलते हैं।”
‘राम के नाम से कुछ नहीं होगा’ — जय भीम का नारा लगाओ
इस भाषण में सरोज ने बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों को आगे बढ़ाने की बात करते हुए कहा कि केवल धार्मिक नारों से कुछ नहीं बदलता। उन्होंने कहा:
“राम का नारा लगाकर कुछ नहीं मिलेगा। जय भीम का नारा ही हमें आगे ले जाएगा। मैं खुद इस नारे की वजह से 5 बार विधायक और एक बार मंत्री बना हूं।”
तुलसीदास पर भी टिप्पणी
इंद्रजीत सरोज ने गोस्वामी तुलसीदास को लेकर भी टिप्पणी की और कहा कि:
“तुलसीदास ने हमारे लिए बहुत कुछ लिखा, लेकिन अकबर या उस दौर के शासकों के खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा। क्या यह डर था या मजबूरी?”
रामजीलाल सुमन का भी विवादित बयान
सिर्फ इंद्रजीत सरोज ही नहीं, बल्कि सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने भी अंबेडकर जयंती के मौके पर कहा:
“अगर तुम कहते हो कि हर मस्जिद के नीचे मंदिर है, तो हमें भी कहना पड़ेगा कि हर मंदिर के नीचे बौद्ध मठ है।”
उन्होंने यह भी कहा:
“अगर मुसलमानों में बाबर का डीएनए है, तो तुममें किसका है, यह भी बता दो।”
ध्यान देने वाली बात
इन बयानों के बाद राजनीतिक हलकों में बहस तेज हो गई है। जहां भाजपा और हिंदू संगठनों ने इन बयानों की तीखी आलोचना की है, वहीं समाजवादी पार्टी इन टिप्पणियों को “विचारों की स्वतंत्रता” कहकर बचाव में आ रही है।
इस पूरे प्रकरण से एक बार फिर सवाल खड़ा होता है — क्या हमारे नेता चुनावों से पहले जानबूझकर भावनात्मक और विवादास्पद मुद्दों को हवा दे रहे हैं? क्या यह बयान वोटबैंक की राजनीति का हिस्सा हैं?
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