निर्माणकार्य में लापरवाही का मामला
बड़ामलहरा (मध्यप्रदेश): सरकारी भवनों के निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री के उपयोग के चलते करोड़ों रुपये की लागत से बने सरकारी ढांचे महज कुछ ही समय में जर्जर हो रहे हैं। ताजा मामला बड़ामलहरा तहसील का है, जहां 1 करोड़ 15 लाख रुपये की लागत से बना एसडीएम कार्यालय भवन महज एक साल में ही बदहाल हो गया है।
अगस्त 2024 में इस भवन का उद्घाटन तत्कालीन कलेक्टर संदीप जी. आर. द्वारा किया गया था, लेकिन एक साल के भीतर ही इसकी दीवारों में दरारें आ गई हैं, प्लास्टर उखड़ने लगा है और फर्श की टाइल्स टूट चुकी हैं। इससे साफ है कि भवन निर्माण में गंभीर लापरवाही बरती गई है और गुणवत्ता से समझौता किया गया है।

ठेकेदारों की मनमानी, प्रशासन लापरवाह
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि ठेकेदारों द्वारा सरकारी निर्माण कार्यों में लगातार लापरवाही बरती जा रही है, लेकिन प्रशासन इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता। जब एक उच्चाधिकारी कार्यालय का भवन ही इतनी जल्दी खराब हो सकता है, तो अन्य सरकारी इमारतों की हालत कैसी होगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के वर्षों में सरकारी भवनों में सीमेंट ईंटों का अधिक उपयोग किया जा रहा है, जिससे उनकी गुणवत्ता कमजोर हो रही है। सीमेंट ईंटों के फूलने से दीवारों में दरारें आ रही हैं और निर्माण कार्य जल्द ही कमजोर हो जाता है।
भ्रष्टाचार की बू, ठेकेदारों पर कार्रवाई की मांग
क्षेत्रीय नागरिकों ने आरोप लगाया कि भवन निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है, जिससे यह महज एक साल में जर्जर हो गया। लोगों का कहना है कि जब प्रशासन के उच्चाधिकारियों के दफ्तर का यह हाल है, तो अन्य सरकारी इमारतों की गुणवत्ता पर सवाल उठना लाजिमी है।
प्रशासन ने दिए मरम्मत के निर्देश
इस मामले में एसडीएम जे. एस. पटेल ने कहा, “एसडीएम कोर्ट भवन के क्षतिग्रस्त होने की जानकारी मिली है। दीवारों में दरारें आ गई हैं, टाइल्स टूट चुकी हैं और प्लास्टर उखड़ रहा है। इस संबंध में कार्यपालन यंत्री (पीआईयू) को पत्राचार किया गया है और निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार से जल्द से जल्द मरम्मत कराने के निर्देश दिए गए हैं।”
जनता की मांग: दोषियों पर हो कड़ी कार्रवाई
स्थानीय लोगों का कहना है कि केवल मरम्मत करवाने से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि निर्माण कार्य में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। यदि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में भी इसी तरह सरकारी भवनों के निर्माण में अनियमितताएं होती रहेंगी।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या ठोस कदम उठाता है और क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होती है या नहीं।