नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ कोयला घोटाले से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निलंबित आईएएस अधिकारी रानू साहू, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी सौम्या चौरसिया और व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी को अंतरिम जमानत देने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले की जांच में लंबा समय लगेगा, इसलिए न्यायिक प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए आरोपियों को अस्थायी रूप से जमानत देना उचित रहेगा।
सुप्रीम कोर्ट का रुख और शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि यदि आरोपी किसी गवाह को प्रभावित करने, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने या जांच में किसी भी तरह की बाधा डालने का प्रयास करते हैं, तो राज्य सरकार अदालत से उनकी जमानत रद्द करने की अपील कर सकती है।
यह अंतरिम जमानत एंटी करप्शन ब्रांच द्वारा दर्ज किए गए मामले में दी गई है। न्यायालय ने निर्देश दिया है कि सभी आरोपी जमानत की शर्तों का कड़ाई से पालन करें और किसी भी तरह की गैरकानूनी गतिविधि में शामिल न हों।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने फैसला सुनाते हुए कहा कि न्यायिक प्रक्रिया में जल्दबाजी से बचना आवश्यक है। साथ ही, कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि आरोपियों के आचरण पर नियमित रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए ताकि जांच में पारदर्शिता बनी रहे।
जस्टिस सूर्यकांत ने अपने बयान में कहा, “हम इस मामले में किसी भी प्रकार की जल्दबाजी नहीं करना चाहते और न ही जांच में हस्तक्षेप कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि आरोपी निष्पक्ष जांच में सहयोग करें और जमानत की शर्तों का पालन करें।”
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद, मामले की जांच पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं और सरकार से पूरी पारदर्शिता बनाए रखने की उम्मीद की जा रही है।
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