प्रयागराज महाकुंभ के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ब्लॉग में इस अद्वितीय आयोजन की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि 45 दिनों तक 140 करोड़ देशवासियों की एक साथ जुड़ाव और आस्था ने एक ऐसा अद्भुत महायज्ञ प्रस्तुत किया, जिसने उन्हें भावुक कर दिया।
एकता का प्रतीक महाकुंभ
ब्लॉग में पीएम मोदी ने बताया कि महाकुंभ को उन्होंने “एकता का महाकुंभ” कहा क्योंकि इसमें देश के कोने-कोने से विभिन्न वर्गों—बच्चे, युवा, महिलाएं, बुजुर्ग, दिव्यांग—की एक ही धुन में भागीदारी देखने को मिली। उन्होंने याद दिलाया कि 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर पर भी उन्होंने देवभक्ति और देशभक्ति का संगम किया था। महाकुंभ में देवी-देवताओं, संतों और महात्माओं के साथ-साथ आम जनता ने संगम तट पर स्नान करते हुए देश की जागरूकता और सामूहिक ऊर्जा का परिचय दिया।
आयोजन की विशालता और भव्यता
पीएम मोदी ने बताया कि महाकुंभ का यह आयोजन आधुनिक प्रबंधन और नीति विश्लेषण के लिए भी एक मिसाल साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि बिना किसी औपचारिक निमंत्रण के, करोड़ों श्रद्धालु स्वयं ही महाकुंभ की ओर बढ़े और संगम तट पर स्नान कर पवित्रता का अनुभव किया। इस अद्भुत आयोजन में इतनी भीड़ जुटी कि उसका मापक किसी भी अन्य आयोजन से कहीं अधिक था।
युवा पीढ़ी की भागीदारी
मोदी जी ने यह भी साझा किया कि महाकुंभ में देश की आज की युवा पीढ़ी की भागीदारी देखकर उन्हें गर्व होता है। युवाओं का इस आयोजन में सक्रिय रूप से हिस्सा लेना इस बात का प्रमाण है कि वे अपनी सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सेवा में यदि कमी रह गई हो
ब्लॉग में प्रधानमंत्री ने गहरी विनम्रता का भी प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा,
“यदि श्रद्धालुओं की सेवा में हमारी ओर से कुछ भी कमी रह गई हो, तो मैं जनता जनार्दन से क्षमा प्रार्थी हूं।” उनका यह कथन इस बात को दर्शाता है कि हर विशाल आयोजन में सुधार की गुंजाइश होती है और सेवा के प्रति उनका समर्पण अटूट है।
राष्ट्रीय चेतना और भविष्य का संकल्प
पीएम मोदी ने महाकुंभ की यह विशालता न केवल एक धार्मिक आयोजन के रूप में, बल्कि एक राष्ट्रीय चेतना और विकसित भारत के संकल्प के रूप में भी देखा। उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने हमें यह संदेश दिया है कि भारत एकजुट होकर अपनी सांस्कृतिक धरोहर और आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। आने वाले समय में, वह द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से पहले ज्योतिर्लिंग, श्री सोमनाथ के दर्शन कर, इस नई ऊर्जा और संकल्प को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का संकल्प लेते हैं।
श्रद्धा की अविरल धारा
अंत में, पीएम मोदी ने कहा कि महाकुंभ के इस अद्वितीय अनुभव से न केवल देशवासियों की आस्था को बल मिला है, बल्कि यह आयोजन आने वाले दशकों के लिए प्रेरणा और दिशा का स्रोत भी बनेगा। उन्होंने अपनी काशी यात्रा का जिक्र करते हुए यह विश्वास व्यक्त किया कि हमारी नदियों की स्वच्छता और पवित्रता हमारे जीवन का अभिन्न अंग है और इसे निरंतर बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।
यह ब्लॉग संदेश देता है कि एकता, आस्था और सेवा की भावना ही भारत की असली ताकत है, और इसी भावना के साथ हम एक विकसित और समृद्ध भारत का निर्माण कर सकते हैं।