by: vijay nandan
उमरिया जिले से बड़ी खबर सामने आई है, जहां चंसुरा गांव में टाइगर के आने से हड़कंप मच गया। बताया जा रहा है कि गांव के बाहर एक मवेशी का शिकार करने के बाद बाघ गांव की ओर बढ़ गया, जिसके बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।

ग्रामीणों में दहशत इस कदर फैल गई कि कई लोग अपनी सुरक्षा के लिए घरों की छतों पर चढ़ गए। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंच गई है। टीम बाघ को सुरक्षित तरीके से जंगल की ओर खदेड़ने का प्रयास कर रही है।
इसलिए तो मध्य प्रदेश ‘टाइगर स्टेट’ है
यह इलाका बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पनपथा बफर जोन में आता है, जहां हाल के दिनों में वन्यजीवों की लगातार गतिविधियां बढ़ी हैं। वन विभाग ने लोगों से शांति बनाए रखने और घरों से बाहर न निकलने की अपील की है।
मध्य प्रदेश ने ‘टाइगर स्टेट’ कहलाता है। ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन-2022 रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में लगभग 785 बाघ हैं। यह संख्या देश के अन्य सभी राज्यों से अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश में बीते चार वर्षों में बाघों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। 2018 की गणना में प्रदेश में 526 बाघ दर्ज किए गए थे, जबकि 2022 तक यह संख्या बढ़कर 785 तक पहुंच गई। लेकिन 2025 में ये संख्या और बढ़ गई है। जो अगली गणना में सामने आएगी।
प्रदेश के बांधवगढ़, कान्हा, सतपुड़ा, पेंच और संजय दुबरी टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बेहतर संरक्षण, निगरानी व्यवस्था और स्थानीय समुदाय की भागीदारी से बाघों की आबादी में यह बढ़ोतरी संभव हुई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस उपलब्धि को प्रदेश के वनकर्मियों और नागरिकों की संयुक्त सफलता बताया है। उन्होंने कहा कि “मध्य प्रदेश बाघ संरक्षण का नेतृत्व करता रहेगा और मानव-बाघ सह-अस्तित्व के मॉडल को और मजबूत बनाया जाएगा।”
देश में सबसे ज्यादा बाघ:
राष्ट्रीय स्तर पर जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल 3,167 बाघ हैं, जिनमें से सबसे अधिक 785 अकेले मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं। इसके बाद कर्नाटक दूसरे और उत्तराखंड तीसरे स्थान पर है।





