Report: Pratap Singh Bhagel
इंदौर। नगर निगम परिषद की विशेष बैठक गुरुवार को भारी हंगामे के बीच समाप्त हुई। विपक्ष ने पिछले एक साल के खर्चों और कार्यों का ब्योरा मांगा तो सत्ता पक्ष के पार्षद भड़क उठे। स्थिति इतनी बिगड़ गई कि मेयर शारदा सोलंकी को सदन की कार्यवाही बीच में ही छोड़कर वॉकआउट करना पड़ा। विपक्षी पार्षदों का आरोप है कि शहर में अव्यवस्थाओं का अंबार लगा है और सौंदर्यीकरण व स्वच्छता के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किया जा रहा है।
6 महीने बाद बुलाई गई विशेष बैठक
सूत्रों के अनुसार, बीते छह महीनों से निगम परिषद की कोई बैठक नहीं हुई थी। ऐसे में विपक्ष ने नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 30 के तहत विशेष बैठक बुलाने की मांग की। बैठक में मेयर शारदा सोलंकी सहित पक्ष-विपक्ष दोनों के पार्षद मौजूद रहे। बैठक शुरू होते ही विपक्ष ने शहर के सौंदर्यीकरण और सफाई पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा। इसी दौरान सत्ता पक्ष के पार्षदों ने आपत्ति जताते हुए जोरदार हंगामा शुरू कर दिया। उनका आरोप था कि विपक्ष मुद्दे से भटककर सदन की कार्यवाही को बाधित कर रहा है।
नोंकझोंक और हंगामे के बाद मेयर का वॉकआउट
विपक्षी पार्षदों ने जब लगातार सवाल उठाए तो सत्ता पक्ष के पार्षद एकजुट होकर मेयर के साथ सभापति की आसंदी तक पहुंच गए। दोनों ओर से तीखी बहस और नारेबाजी के बीच माहौल गरमा गया। सभापति ने कई बार शांति बनाए रखने की अपील की, लेकिन जब हालात काबू में नहीं आए तो मेयर शारदा सोलंकी अपने समर्थक पार्षदों के साथ सदन से बाहर चली गईं।
कांग्रेस पार्षदों ने गंवाया मौका
हंगामे के बीच जब मेयर और भाजपा पार्षद सदन से बाहर चले गए, तब कांग्रेस के पास महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित करने का सुनहरा अवसर था। दो-तिहाई बहुमत के अभाव में भाजपा की अनुपस्थिति में विपक्ष कोई भी निर्णय पारित कर सकता था।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर कांग्रेस पार्षदों ने उस समय प्रस्ताव पारित कर दिया होता, तो मेयर को उसे रद्द करने के लिए दोबारा परिषद बैठक बुलानी पड़ती — जिससे उनके लिए बड़ी राजनीतिक मुश्किल खड़ी हो सकती थी। इस पूरे घटनाक्रम ने नगर निगम की कार्यशैली और प्रशासनिक पारदर्शिता पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं





