Reporter: Amol Kamble, Edit By: Mohit Jain
नवी मुंबई के घनसोली में गरीब माथाड़ी मजदूरों के लिए बने 17 एकड़ के विशाल आवासीय प्रोजेक्ट पर अब अवैध कब्जे की साजिश सामने आ गई है। २२०० से अधिक परिवारों के घरों का भविष्य एक ताकतवर गिरोह के हाथों में उलझ गया है, जिसे असामाजिक तत्वों और राजनीतिक संरक्षण का समर्थन मिलने की बात सामने आ रही है। यह गिरोह धमकी, दबाव और कानूनों के खुले उल्लंघन के ज़रिए पूरे प्रोजेक्ट पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है।
1997–2000 में सरकार ने सस्ती दरों पर दिए थे घर, आज वही परिवार बेघर होने की कगार पर
महाराष्ट्र सरकार और सिडको ने 1997 से 2000 के बीच निर्माण लागत से भी कम कीमत पर इन मजदूरों को घर दिए थे, ताकि उन्हें सम्मानजनक जीवन मिल सके। पर आज वही घर करोड़ों के अवैध पुनर्निर्माण खेल का हिस्सा बनते दिख रहे हैं।

पुनर्विकास में भारी अनियमितताएँ, कानून की धज्जियाँ उड़ाई गईं
महाराष्ट्र सहकारी सोसाइटी अधिनियम की धारा 79(A) के तहत पुनर्विकास की प्रक्रिया पारदर्शी और कानूनी होना अनिवार्य है-पी.एम.सी. की नियुक्ति से लेकर निविदाओं की जांच तक। लेकिन घनसोली के मामले में इनमें से एक भी नियम का पालन नहीं किया गया।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि ये इमारतें ३० वर्ष पुरानी नहीं हैं, न ही निगम ने इन्हें खतरनाक घोषित किया है। ऐसे में पुनर्विकास का कोई कानूनी आधार नहीं है।
निविदाओं में बड़ा खेल: सभी सोसायटियों ने एक ही दिन, एक जैसे विज्ञापन जारी किए
20 नवंबर 2025 को पता चला कि सातों सोसायटियों-श्री गणेशकृपा, कै. शिवाजीराव पाटिल, कै. विधायक अण्णासाहेब पाटिल, माऊलीकृपा, श्री गुरुदेव दत्त, श्री हनुमान और ओम साईधाम-ने एक ही दिन, एक ही अखबार, एक ही पन्ने पर एक जैसी निविदाएँ जारी कीं।
निविदा फॉर्म लेने के लिए सिर्फ दो दिन (20–21 नवंबर) और जमा करने के लिए 26 नवंबर की तारीख रखी गई।
२२०0 परिवारों वाले इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिए यह समयसीमा पूरी तरह अव्यवहारिक और संदिग्ध मानी जा रही है।
भ्रष्ट पी.एम.सी. की नियुक्ति, पुराने आरोप भी गंभीर
इस प्रोजेक्ट के लिए नियुक्त पी.एम.सी. पर पहले से अनियमितताओं के आरोप रहे हैं। ऐसे में इतना बड़ा पुनर्विकास कार्य उसके हवाले होना खुद में बड़ा सवाल खड़ा करता है।

नेताओं की चुप्पी पर मजदूरों में नाराजगी, धमकी और दादागिरी के आरोप
सबसे बड़ी चिंता यह है कि माथाड़ी मजदूर नेता, स्थानीय विधायक और स्वयंभू समाजसेवी इस बड़े घोटाले पर चुप हैं।
निवासियों के अनुसार, कुछ असामाजिक तत्व धमकी और दबाव डालकर परिवारों को मजबूर कर रहे हैं। कई मजदूर परिवार दहशत में हैं और खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं।
सिडको पर हस्तक्षेप का दबाव बढ़ा, विशेषज्ञ बोले-प्रोजेक्ट खुद संभाले सरकार
विशेषज्ञों का मानना है कि सिडको को तत्काल हस्तक्षेप कर इस अवैध पुनर्विकास को रोकना चाहिए।
सुझाव दिया जा रहा है कि सिडको स्वयं पारदर्शी तरीके से पुनर्निर्माण करे, वर्तमान निवासियों को घरों की गारंटी दे और शेष भूमि पर सस्ती आवास योजनाएँ विकसित करे।
हाई कोर्ट में याचिका की तैयारी, बड़े घोटाले पर न्यायिक जांच की मांग होगी
सूत्रों के अनुसार, कई सामाजिक कार्यकर्ता, एनजीओ और जागरूक नागरिक इस पूरे घोटाले पर जल्द ही मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने जा रहे हैं। याचिका में पुनर्निर्माण प्रक्रिया पर रोक, न्यायिक जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की जाएगी।





