भारत की तीसरी सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर निर्माता कंपनी ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में ₹870 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है, जो पिछले साल की समान तिमाही में ₹416 करोड़ था। यानी कंपनी के घाटे में सालाना आधार पर 50% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इस रिपोर्ट में हम ओला इलेक्ट्रिक के ताजा वित्तीय नतीजों, गिरते रेवेन्यू और मार्केट शेयर पर नजर डालेंगे, और यह समझेंगे कि कंपनी के लिए आगे की राह कैसी दिखती है।
चौथी तिमाही का प्रदर्शन: रेवेन्यू में 62% की गिरावट
ओला इलेक्ट्रिक ने 29 मई (गुरुवार) को चौथी तिमाही के वित्तीय नतीजे जारी किए। इस दौरान:
- कंपनी का रेवेन्यू ₹611 करोड़ रहा, जो पिछले साल की समान तिमाही में ₹1,598 करोड़ था।
- यानी साल दर साल रेवेन्यू में 62% की गिरावट आई।
- नेट लॉस ₹870 करोड़ रहा, जो पिछले साल ₹416 करोड़ था—यानि घाटा दोगुना हो गया।
रेवेन्यू यानी कंपनी को वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री से जो कुल आय होती है।
बाजार हिस्सेदारी में गिरावट: बिक्री में 60% की कमी
वाहन बिक्री के मामले में भी ओला इलेक्ट्रिक को झटका लगा है। वाहन पोर्टल के अनुसार:
- मई 2025 में कंपनी की मार्केट हिस्सेदारी घटकर 20% रह गई है।
- मई 2024 की तुलना में इस साल व्हीकल रजिस्ट्रेशन में 60% की गिरावट दर्ज की गई है।
- मई 2025 में सिर्फ 15,221 वाहनों का पंजीकरण हुआ, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 37,388 था।
वर्तमान मार्केट शेयर रैंकिंग (मई 2025):
कंपनी | मार्केट शेयर |
---|---|
TVS मोटर | 25% |
बजाज ऑटो | 22.6% |
ओला इलेक्ट्रिक | 20% |
एथर एनर्जी | 13.1% |
ओला इलेक्ट्रिक के शेयर में उतार-चढ़ाव
- गुरुवार को ओला इलेक्ट्रिक का शेयर ₹53.20 पर बंद हुआ, जो 0.5% की बढ़त है।
- पिछले एक महीने में शेयर में 6% से अधिक की वृद्धि हुई है।
- हालांकि, बीते 6 महीनों में ओला का शेयर लगभग 39% गिर चुका है।
- कंपनी का मौजूदा मार्केट कैपिटल ₹22,200 करोड़ है।
ओला इलेक्ट्रिक: एक नजर में
- स्थापना वर्ष: 2017
- मुख्यालय: बेंगलुरु
- प्रमुख प्रोडक्ट्स: इलेक्ट्रिक स्कूटर, बैटरी पैक, मोटर और व्हीकल फ्रेम
- प्रोडक्शन यूनिट: ओला फ्यूचर फैक्ट्री
निष्कर्ष: क्या ओला इलेक्ट्रिक वापसी कर पाएगी?
ओला इलेक्ट्रिक को वित्तीय मोर्चे पर लगातार चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। भारी घाटा, घटती बिक्री और मार्केट शेयर में गिरावट यह संकेत देते हैं कि कंपनी को अब रणनीतिक बदलाव की सख्त जरूरत है।
EV इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है, लेकिन प्रतिस्पर्धा भी उतनी ही तीव्र है। अगर ओला इलेक्ट्रिक को टिके रहना है, तो उसे लागत कम करने, ग्राहक विश्वास बढ़ाने और इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत होगी।