BY: Yoganand Shrivastva
हालांकि भोपाल के लिए यह बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बार उसका मुकाबला इंदौर जैसे लगातार विजेता शहरों से नहीं था। दरअसल, इंदौर और कुछ अन्य शहरों को ‘सुपर स्वच्छता लीग’ नामक नई श्रेणी में रखा गया है, जिसकी रैंकिंग मुख्य सूची से अलग होती है।
सुपर स्वच्छता लीग में 15 शहर, इंदौर बाहर नहीं बल्कि विशेष वर्ग में
पिछले साल सरकार ने ‘सुपर स्वच्छता लीग’ नाम से एक नई श्रेणी बनाई थी, जिसमें उन शहरों को शामिल किया गया है जो लगातार तीन वर्षों तक टॉप-3 में रहे हैं। पहले इसमें 12 शहर थे, लेकिन अब यह संख्या बढ़ाकर 15 कर दी गई है।
इंदौर, जिसने लगातार 7 बार पहला स्थान हासिल किया है, अब सूरत और नवी मुंबई जैसे शहरों के साथ इस लीग का हिस्सा है। इन शहरों की मुख्य रैंकिंग सूची में गणना नहीं की जाती, लेकिन उन्हें अलग स्कोरिंग सिस्टम (12,500 अंकों के आधार पर) से आंकलन किया जाता है।
क्यों बनाई गई सुपर लीग?
हर वर्ष कुछ शहर निरंतर टॉप पर बने रहते थे, जिससे बाकी शहरों के लिए प्रतियोगिता सीमित हो जाती थी। इसी कारण से ‘सुपर स्वच्छता लीग’ की शुरुआत की गई ताकि नए शहरों को भी शीर्ष स्थान प्राप्त करने का अवसर मिल सके।
मध्य प्रदेश के कई शहरों को सम्मान
मध्य प्रदेश इस बार भी सफाई अभियान में अग्रणी रहा है:
- भोपाल को दूसरा स्थान मिला है।
- देवास और शाहगंज को प्रेसिडेंशियल कैटेगरी के तहत सम्मानित किया जाएगा।
- जबलपुर को मिनिस्ट्रीयल कैटेगरी और
- ग्वालियर को स्टेट लेवल अवॉर्ड के लिए आमंत्रण भेजा गया है।
- वहीं, इंदौर, उज्जैन और बुदनी को ‘सुपर लीग’ में शामिल किया गया है।
उज्जैन मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृह जिला है और बुदनी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का प्रतिनिधित्व क्षेत्र रहा है।
इंदौर की स्वच्छता यात्रा: कचरे से CNG तक
2016 तक इंदौर शहर में लोग बेझिझक सड़कों पर कचरा फेंकते थे और कई सफाईकर्मी बिना ड्यूटी पर गए वेतन लेते थे। नगर निगम ने सबसे पहले लोगों की आदतों को बदलने पर काम किया और डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन, सूखा और गीला कचरा अलग करना, और कचरे से CNG उत्पादन जैसी योजनाएं लागू कीं। इन बदलावों की बदौलत इंदौर ने खुद को देश का सबसे स्वच्छ शहर बनाया और आज भी मिसाल कायम किए हुए है।





