नई दिल्ली: डीएमके नेता और सांसद ए. राजा ने हाल ही में एक बयान देकर विवाद खड़ा कर दिया है। एक वायरल वीडियो में उन्हें पार्टी कार्यकर्ताओं को यह सलाह देते हुए सुना गया कि वे राजनीतिक गतिविधियों के दौरान हिंदू धार्मिक प्रतीकों जैसे कि कुमकुम, विभूति और कलावा पहनने से बचें। उनके इस बयान पर हिंदू संगठनों और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने कड़ी आलोचना की है। इस बीच, तमिलनाडु भाजपा ने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से इस मामले में कार्रवाई की मांग की है।
राजनीतिक गतिविधियों में धार्मिक प्रतीकों से बचने की सलाह
वायरल वीडियो में राजा कह रहे हैं कि व्यक्तिगत स्तर पर भगवान की पूजा करना पूरी तरह से स्वीकार्य है, लेकिन पार्टी कार्यक्रमों और राजनीतिक गतिविधियों के दौरान धार्मिक चिह्नों का प्रदर्शन करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, “यदि आवश्यक हो तो भगवान की पूजा करें, इसमें कोई समस्या नहीं है… भगवान प्रेम हैं। जैसा कि अन्ना ने कहा था, हम गरीबों की मुस्कान में भगवान को देखते हैं।” हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि डीएमके कार्यकर्ताओं को आधिकारिक कार्यों के दौरान किसी भी धार्मिक पहचान से बचना चाहिए ताकि पार्टी की विचारधारा स्पष्ट बनी रहे।
एआईएडीएमके का उदाहरण दिया
राजा ने अपने तर्क को समर्थन देने के लिए एआईएडीएमके (अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) के पतन का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि धार्मिक प्रतीकों को अपनाने से पार्टी की मूल विचारधारा धुंधली हो सकती है और इससे संगठन को नुकसान हो सकता है।
भाजपा और हिंदू संगठनों की प्रतिक्रिया
राजा के इस बयान के बाद भाजपा और हिंदू संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भाजपा नेताओं का कहना है कि डीएमके हिंदू विरोधी राजनीति कर रही है और यह बयान उसी मानसिकता का एक और उदाहरण है। उन्होंने मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन से इस पर स्पष्टीकरण मांगते हुए कार्रवाई की मांग की है।
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब तमिलनाडु में राजनीतिक वातावरण पहले से ही गर्म है और आगामी चुनावों को देखते हुए पार्टियों के बीच बयानबाजी तेज हो गई है।
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