हाल के दिनों में कई भारतीय मीडिया संस्थानों ने यह दावा किया कि पाकिस्तान सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को अमेरिका के वाशिंगटन डीसी में आयोजित अमेरिकी सेना की 250वीं वर्षगांठ के समारोह में आमंत्रित किया गया था। यह समारोह अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जन्मदिन (14 जून) पर आयोजित किया गया था।
इन रिपोर्ट्स में इसे पाकिस्तान के लिए “बड़ी कूटनीतिक जीत” और भारत के लिए “कूटनीतिक झटका” बताया गया। लेकिन सच्चाई कुछ और निकली।
व्हाइट हाउस ने क्या कहा?
व्हाइट हाउस कम्युनिकेशन ऑफिस के एक अधिकारी ने The Quint से बातचीत में स्पष्ट किया:
“हमने किसी विदेशी अधिकारी को आमंत्रित नहीं किया। यह अमेरिका और हमारी सेना का आंतरिक जश्न है।”
उन्होंने भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि:
“रिपोर्टर अफवाहों के पीछे भागे… और भारत में मीडिया ने उसे सच मान लिया। केवल समय देखकर ही समझा जा सकता है कि यह अफवाह क्यों फैलाई गई।”
भारतीय मीडिया की भूमिका
- CNN-News18 ने ‘शीर्ष खुफिया सूत्रों’ के हवाले से खबर दी।
- Economic Times ने पाकिस्तानी मीडिया The News International का हवाला दिया।
- India Today ने भी ‘सूत्रों’ के आधार पर खबर चलाई।
इनमें से किसी ने भी अमेरिकी अधिकारियों से पुष्टि नहीं ली, फिर भी खबरें ब्रेकिंग हेडलाइंस के साथ चलाई गईं।
अफवाहों की टाइमिंग पर संदेह
अमेरिका की CENTCOM (सेंट्रल कमांड) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला ने 13 जून को अमेरिकी संसद के सामने पाकिस्तान की आतंकवाद-रोधी कार्रवाइयों की तारीफ की थी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान ने अमेरिकी खुफिया जानकारी के आधार पर ISIS-K के कम से कम 5 आतंकवादियों को पकड़ा है।
“2024 की शुरुआत से अब तक पाकिस्तान में 1,000 से अधिक आतंकी हमले हुए हैं, जिनमें लगभग 700 लोग मारे गए और 2,500 घायल हुए,”
— जनरल कुरिल्ला
इसके बाद ही असीम मुनीर की यात्रा की खबरें सामने आईं, जिससे यह शक गहराया कि अफवाहें जानबूझकर फैलाई गईं।
भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने 12 जून की साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में इस कथित दौरे पर सीधे कोई टिप्पणी नहीं की।
हालांकि, प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने यह जरूर कहा:
“हमारी सुरक्षा चिंताएं हमारे लिए अहम हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे अंतरराष्ट्रीय साझेदार उन्हें गंभीरता से लें।”
सोशल मीडिया पर भी अफवाहें फैलीं
- कई ट्विटर और फेसबुक हैंडल्स ने असीम मुनीर की यात्रा की झूठी जानकारी शेयर की।
- इन अफवाहों को ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक तनाव के संदर्भ में देखा गया।
- दावा किया गया कि मुनीर का यह दौरा भारत के लिए रणनीतिक चुनौती है।
कांग्रेस नेता का बयान
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी और अमेरिका की दक्षिण एशिया नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने अमेरिका की नीति को “दोहरी सोच” करार दिया।
निष्कर्ष: मीडिया में जिम्मेदारी की जरूरत
यह पूरा मामला एक बार फिर यह साबित करता है कि बिना पुष्टि के फैलाई गई खबरें कूटनीतिक संबंधों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। भारतीय मीडिया को चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय मामलों में रिपोर्टिंग करते वक्त सतर्कता बरते और आधिकारिक सूत्रों से पुष्टि किए बिना कोई खबर न फैलाए।
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