भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव ने दोनों देशों की सैन्य क्षमताओं की तुलना को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। जहां भारत ने पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ कई सख्त कदम उठाए हैं, वहीं पाकिस्तान ने अब्दाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण कर स्थिति को और जटिल बना दिया है।
🇮🇳 भारत बनाम 🇵🇰 पाकिस्तान: सैन्य ताकत की तुलना
🔹 वायुसेना
- भारत: 730 लड़ाकू विमान
- पाकिस्तान: 452 लड़ाकू विमान
भारत के पास राफेल, सुखोई Su-30MKI, मिराज 2000, तेजस और मिग-29 जैसे अत्याधुनिक विमान हैं। वहीं पाकिस्तान के पास JF-17, J-10C और अमेरिकी F-16 विमान हैं।
🔹 थलसेना
- भारत: 3,740 मुख्य युद्धक टैंक, 9,743 तोपें
- पाकिस्तान: 2,537 मुख्य युद्धक टैंक, 4,619 तोपेंReuters
भारत की थलसेना संख्या और उपकरणों की दृष्टि से पाकिस्तान से कहीं अधिक मजबूत है।
🔹 नौसेना
- भारत: 16 पनडुब्बियां, 11 विध्वंसक, 16 फ्रिगेट, 2 विमानवाहक पोत
- पाकिस्तान: 8 पनडुब्बियां, 10 फ्रिगेट
भारत की नौसेना की क्षमता पाकिस्तान से कहीं अधिक है, जिससे समुद्री क्षेत्र में भारत को रणनीतिक बढ़त मिलती है।
🔹 परमाणु क्षमता
- भारत: 172 परमाणु हथियार
- पाकिस्तान: 170 परमाणु हथियारReuters
दोनों देशों के पास लगभग समान परमाणु क्षमता है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय है।
🔥 पाकिस्तान का अब्दाली मिसाइल परीक्षण
3 मई 2025 को पाकिस्तान ने 450 किलोमीटर रेंज वाली अब्दाली बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह परीक्षण “Ex INDUS” अभ्यास के तहत किया गया, जिसका उद्देश्य सैनिकों की परिचालन तत्परता और मिसाइल की तकनीकी क्षमताओं का मूल्यांकन करना था। भारत ने इस परीक्षण को उकसावे की कार्रवाई बताया है, जो क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकता है।www.ndtv.com+1Al Jazeera+1
📊 ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2025 में रैंकिंग
- भारत: दुनिया में 4वें स्थान पर, पावर इंडेक्स स्कोर: 0.1184
- पाकिस्तान: 12वें स्थान पर, पावर इंडेक्स स्कोर: 0.2513Wikipedia, l’enciclopedia libera+2Defence Security Asia+2The Indian Express+2
यह रैंकिंग विभिन्न कारकों जैसे सैन्य ताकत, उपकरण, जनशक्ति, वित्तीय संसाधन आदि के आधार पर तय की जाती है।
भारत की सैन्य शक्ति पाकिस्तान की तुलना में कहीं अधिक है, चाहे वह वायुसेना, थलसेना, नौसेना या परमाणु क्षमता हो। हालांकि, दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव और हालिया घटनाएं क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। ऐसे में दोनों देशों के लिए संयम और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से समाधान खोजने की आवश्यकता है।
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