BY: Yoganand Shrivastva
नैनीताल जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव को लेकर चल रही सियासी हलचल में नया मोड़ आ गया है। बीते दिनों लापता हुए कांग्रेस समर्थित पांच जिला पंचायत सदस्यों का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें उन्होंने साफ कहा कि उनका अपहरण नहीं हुआ, बल्कि वे अपनी मर्जी से गए हैं। वीडियो सामने आते ही प्रदेश की राजनीति गरमा गई और सोशल मीडिया पर भाजपा-कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए।
कांग्रेस का धरना प्रदर्शन
14 अगस्त को मतदान से पहले इन सदस्यों के लापता होने की खबर फैली तो कांग्रेस ने भाजपा पर अपहरण का आरोप लगाया। इसके विरोध में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने हल्द्वानी में एसएसपी कार्यालय के बाहर धरना दिया। कांग्रेस नेताओं का कहना था कि भाजपा, चुनावी समीकरण बदलने के लिए उनके सदस्यों को अगवा कर रही है। बाद में एसपी सिटी के आश्वासन पर यह धरना समाप्त किया गया।
मामला अदालत तक पहुँचा
कांग्रेस ने इस मुद्दे को हाई कोर्ट तक ले जाने का ऐलान किया। इसके बाद 15 अगस्त को अदालत ने सुनवाई करते हुए अगली तारीख 18 अगस्त तय की। इसी बीच शुक्रवार को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच मतगणना हुई। निर्वाचन अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि नियमों के अनुसार पुनर्मतदान केवल तभी हो सकता है जब बूथ कैप्चरिंग, तकनीकी गड़बड़ी या मतपेटियों को नुकसान जैसी स्थिति सामने आए। नैनीताल में इनमें से कोई परिस्थिति लागू नहीं होती।
जिलाधिकारी का बयान और sealed परिणाम
नैनीताल की जिलाधिकारी वंदना सिंह ने उच्च न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि कांग्रेस के आरोपों को देखते हुए वे राज्य निर्वाचन आयोग से पुनर्मतदान पर विचार करने का अनुरोध करेंगी। हालांकि, मतगणना पूरी होने के बाद आयोग ने परिणामों को सीलबंद लिफाफे में रखकर सुरक्षित कर लिया। यह लिफाफा 18 अगस्त को हाई कोर्ट में पेश किया जाएगा और अदालत का फैसला आने के बाद ही नतीजे सार्वजनिक किए जाएंगे।