अमेरिका में अप्रवासियों को लेकर बड़ा कदम उठाते हुए ट्रंप प्रशासन ने चार देशों — क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेजुएला — के लगभग 5 लाख अप्रवासियों को देश छोड़ने का आदेश दिया है। ये सभी लोग जो बाइडेन सरकार के दौरान शुरू किए गए CHNV पैरोल कार्यक्रम के तहत अमेरिका आए थे।
अब होमलैंड सिक्योरिटी विभाग (DHS) ने उनका वर्क परमिट रद्द कर दिया है और देश छोड़ने के नोटिस भेजने शुरू कर दिए गए हैं।
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से ट्रंप प्रशासन को मिली मंजूरी
यह निर्णय पिछले महीने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें DHS को CHNV कार्यक्रम के तहत दी गई सुविधाएं रद्द करने की अनुमति दी गई थी।
- यह फैसला ट्रंप प्रशासन द्वारा अस्थायी आव्रजन सुरक्षा खत्म करने के प्रयासों का हिस्सा है।
- CHNV कार्यक्रम को कानूनी चुनौती अभी भी जारी है।
CHNV कार्यक्रम क्या है?
CHNV (Cuba, Haiti, Nicaragua, Venezuela) पैरोल कार्यक्रम को 2023 में शुरू किया गया था, जिसका मकसद था:
- अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर अवैध प्रवास कम करना
- चार देशों में मानवीय संकट को देखते हुए लोगों को कानूनी रूप से शरण देना
- हर महीने 30,000 स्लॉट्स के लिए आवेदन खोले जाते थे
- कई अप्रवासी कंस्ट्रक्शन, हेल्थ केयर जैसी नौकरियों में काम कर रहे थे
वर्क परमिट रद्द, अब नौकरियों पर असर
CHNV कार्यक्रम के तहत आए अप्रवासियों के वर्क परमिट जैसे ही रद्द हुए, अमेरिका की कई इंडस्ट्रीज जैसे कि:
- निर्माण क्षेत्र (Construction)
- स्वास्थ्य सेवा (Healthcare)
को कर्मचारियों की भारी कमी का सामना करना पड़ सकता है।
ट्रंप प्रशासन का क्या कहना है?
DHS की असिस्टेंट सेक्रेटरी ट्रिसिया मैकलॉघलिन ने बताया:
- बाइडेन सरकार ने अप्रवासियों की ठीक से जांच नहीं की
- CHNV के तहत आए लोगों ने स्थानीय अमेरिकी कामगारों की जगह ले ली
- “अमेरिका फर्स्ट” की नीति को बहाल करने के लिए यह कदम जरूरी था
आगे क्या होगा?
- ट्रंप ने संकेत दिया है कि कृषि मजदूरों को निर्वासन से बचाने के लिए वे अलग आदेश लाएंगे
- लेकिन बाकी अप्रवासियों को जल्द से जल्द देश छोड़ना होगा
- इसके चलते मानवाधिकार और प्रवासी संगठनों में चिंता बढ़ गई है
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ट्रंप प्रशासन का यह कदम अमेरिका की आव्रजन नीति में एक कठोर मोड़ की तरह देखा जा रहा है। इससे मानवता, श्रम बाज़ार और कानूनी प्रक्रियाओं पर व्यापक असर पड़ेगा। आने वाले समय में इसका राजनीतिक असर भी दिख सकता है, खासकर आगामी चुनावों के मद्देनज़र।