by: vijay nandan
नई दिल्ली: अफगानिस्तान में महिलाओं के प्रति तालिबानी शासन हमेशा विवादों में रहा है। ये विवाद अब दिल्ली तक पहुंच गया है। दरअसल अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की दिल्ली यात्रा के दौरान शुक्रवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को शामिल नहीं किया गया, जिससे राजनीतिक हलकों में हंगामा मच गया। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने इसे लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है।
बताया जाता है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस दिल्ली स्थित अफगानिस्तान दूतावास में आयोजित की गई थी। तालिबान के विदेश मंत्री मुत्ताकी ने इसमें हिस्सा लिया। पत्रकारों की लिस्ट तालिबान अधिकारियों द्वारा तय की गई थी, जिसमें किसी महिला पत्रकार का नाम नहीं था।

उधर भारतीय विदेश मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा कि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन भारत सरकार की भागीदारी में नहीं हुआ, यह अफगानिस्तान दूतावास का खुद का कार्यक्रम था। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि भारत की ओर से महिला पत्रकारों को शामिल करने का सुझाव जरूर दिया गया था, लेकिन अंतिम निर्णय तालिबान प्रतिनिधियों का रहा है।
प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी से मांगा जवाब
इस पूरे विवाद पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक पोस्ट डाली। उन्होंने लिखा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी, कृपया यह स्पष्ट करें कि भारत आए तालिबान प्रतिनिधि की प्रेस कॉन्फ्रेंस से महिला पत्रकारों को क्यों हटाया गया? अगर महिलाओं के अधिकारों को लेकर आपकी बातें सिर्फ चुनावी नारों तक सीमित नहीं हैं, तो इस तरह का अपमान हमारे देश में कैसे होने दिया गया? भारत की महिलाएं इस देश की रीढ़ और शान हैं।
Prime Minister @narendramodi ji, please clarify your position on the removal of female journalists from the press conference of the representative of the Taliban on his visit to India.
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) October 11, 2025
If your recognition of women’s rights isn’t just convenient posturing from one election to…
महुआ मोइत्रा का भी केंद्र पर निशाना
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी मोदी सरकार से सवाल पूछा कि आखिर कैसे तालिबानी मंत्री को भारत की धरती पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की अनुमति दी गई, वह भी तब जब महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं दी गई। उन्होंने इसे भारत की लोकतांत्रिक और समानता की भावना के खिलाफ बताया।
Govt has dishonoured every single Indian woman by allowing Taliban minister to exclude women journalists from presser. Shameful bunch of spineless hypocrites. pic.twitter.com/xxnqofS6ob
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) October 10, 2025
तालिबान का जवाब, हर देश की अपनी परंपरा होती है
जब मुत्ताकी से अफगानिस्तान में महिलाओं के अधिकारों को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब देने से बचते हुए कहा कि “हर देश के अपने रीति-रिवाज और सांस्कृतिक नियम होते हैं। इस बयान के बाद भारत में आलोचनाओं का दौर और तेज हो गया। जहां कांग्रेस और टीएमसी जैसे विपक्षी दल सरकार पर “महिलाओं के सम्मान” की बात को लेकर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं सरकार का कहना है कि यह प्रेस कॉन्फ्रेंस एक विदेशी मिशन की निजी गतिविधि थी, जिसमें भारत की कोई आधिकारिक भूमिका नहीं थी।
दिल्ली में तालिबान मंत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को रोकना न केवल कूटनीतिक असहजता का कारण बना है, बल्कि भारत के राजनीतिक गलियारों में नई बहस भी छेड़ गया है। क्या भारत की धरती पर इस तरह के आयोजनों के लिए स्पष्ट प्रोटोकॉल तय होने चाहिए? और क्या विदेशी प्रतिनिधियों को भारतीय संवैधानिक मूल्यों का पालन अनिवार्य रूप से करना नहीं चाहिए ?





