चुनाव में दो सीटों का गणित बिगाड़ेंगे या खुद ही फंसेंगे ?
BY: VIJAY NANDAN
पटना: बिहार की सियासत में लंबे समय से जिस पारिवारिक टूट के संकेत मिल रहे थे, वह आखिरकार सामने आ गया है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। इस सियासी घटनाक्रम ने न केवल पार्टी बल्कि यादव परिवार के भीतर भी भूचाल ला दिया है। सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाले तेज प्रताप यादव को इसी मंच पर साझा की गई एक तस्वीर भारी पड़ गई। तलाक की प्रक्रिया के बीच अपनी ही जाति की एक महिला के साथ उनकी कथित तस्वीर वायरल हुई और इसके बाद उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया। चर्चा है कि इस फैसले के पीछे तेजस्वी यादव का प्रभाव भी रहा।
अब जब तेज प्रताप को पार्टी से बाहर कर दिया गया है, तो राजनीतिक गलियारों में दो विधानसभा सीटों की चर्चा तेज हो गई है — पहली, समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट, जहां से उन्होंने 2020 में जीत दर्ज की थी, और दूसरी, वैशाली की महुआ सीट, जिसे वह अपनी पसंदीदा सीट मानते हैं और जहां से इस बार लड़ने का मन बना चुके हैं।

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हसनपुर : जहां से जीतना नहीं था मुमकिन, फिर भी बन गए विधायक
2020 के चुनाव में तेज प्रताप यादव हसनपुर से चुनाव नहीं लड़ना चाहते थे। वह महुआ सीट से मैदान में उतरना चाहते थे, जहां से वह पहले विधायक रह चुके थे। मगर पार्टी नेतृत्व ने उन्हें हसनपुर भेजा। यहां पर मुकाबला अपेक्षाकृत कठिन था। तेज प्रताप को 80,991 वोट मिले और उन्होंने जदयू के राज कुमार राय को 21,000 से ज्यादा वोटों से हराया। लेकिन यह जीत आसान नहीं थी। अगर लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) उस चुनाव में एनडीए के खिलाफ रणनीति न बनाती और जदयू का वोटबैंक न काटती, तो नतीजा कुछ और भी हो सकता था।
लोजपा ने यहां मनीष कुमार को उतारा था, जिन्होंने 8,797 वोट हासिल किए। वहीं, पप्पू यादव की पार्टी ने भी चुनाव में तेज प्रताप को कड़ी चुनौती दी थी और उन्हें 9,882 वोट मिले थे। इन दोनों की मौजूदगी ने जदयू को नुकसान पहुंचाया और तेज प्रताप को जीतने का मौका मिल गया।
महुआ : दिल की सीट, जहां से लड़ना चाहते हैं तेज प्रताप
2025 के चुनाव से पहले तेज प्रताप ने खुलकर महुआ से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। उन्होंने यहां जनसंपर्क भी शुरू कर दिया था और अपने समर्थन में नारे लगवाए। यही एलान राजद के अंदर तनाव का कारण बना। तेज प्रताप का कहना है कि उन्होंने महुआ में काफी काम किया है और अब वह यहीं से फिर से चुनाव लड़ना चाहते हैं।

महुआ में इस वक्त राजद के विधायक मुकेश कुमार रौशन हैं, जिन्हें 2020 में 62,747 वोट मिले थे। जदयू की प्रत्याशी आशमा परवीन को 48,977 वोट मिले थे। उस समय भी लोजपा ने 25,198 वोट काटे थे, जिससे राजद को सीधा फायदा मिला। अब अगर तेज प्रताप निर्दलीय या किसी अन्य पार्टी से मैदान में उतरते हैं, तो यह मुकाबला काफी दिलचस्प होगा। हालांकि तेज प्रताप के बाहर हो जाने से मौजूदा विधायक को कुछ राहत जरूर मिली होगी, लेकिन उनके चुनाव लड़ने से वोटों का बंटवारा तय है।
तेज प्रताप यादव की राजनीतिक यात्रा इस समय एक अहम मोड़ पर खड़ी है। एक तरफ पार्टी से निष्कासन, दूसरी तरफ दो सीटों पर चुनावी रणनीति — यह सब मिलकर तय करेंगे कि 2025 में उनका सियासी वजूद बचेगा या पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। हसनपुर छोड़कर महुआ जाना उनके लिए जोखिम भी हो सकता है और नया मौका भी। लेकिन इतना तय है कि उनकी मौजूदगी इस बार भी बिहार की चुनावी राजनीति को गर्माएगी।





