Mohit Jain
TANSEN SAMAROH 2025: भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश के सबसे प्रतिष्ठित आयोजनों में शामिल तानसेन संगीत समारोह एक बार फिर संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध करने के लिए तैयार है। संगीत नगरी ग्वालियर में यह ऐतिहासिक आयोजन 15 दिसंबर से 19 दिसंबर तक आयोजित किया जाएगा। अगले पाँच दिनों तक शहर की फिजाएँ सुर, ताल और राग की अनवरत वर्षा से सराबोर रहेंगी। इस वर्ष समारोह का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह इसका 101वाँ आयोजन है।

TANSEN SAMAROH 2025: चतुर्भुज मंदिर थीम पर सजा भव्य मंच
इस वर्ष तानसेन समारोह का मुख्य मंच ग्वालियर दुर्ग स्थित ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर की थीम पर तैयार किया गया है। यह वही मंदिर है जिसने विश्व को शून्य का परिचय कराया। तानसेन समाधि परिसर के समीप बने इस भव्य मंच पर 15 दिसंबर को शाम लगभग 6 बजे समारोह का औपचारिक शुभारंभ होगा।
समारोह की पूर्व संध्या पर बॉलीवुड गायिका जसपिंदर नरुला ने विशेष प्रस्तुतियाँ देकर माहौल को संगीतमय बना दिया।
TANSEN SAMAROH 2025: प्रातः परंपरा, सायं औपचारिक उद्घाटन
सोमवार को प्रातः 10 बजे हजीरा स्थित सुर सम्राट तानसेन की समाधि पर पारंपरिक शुभारंभ होगा। इस दौरान
- शहनाई वादन
- ढोलीबुआ महाराज की हरिकथा
- मीलाद वाचन
- चादरपोशी की रस्में
आयोजित की जाएंगी।
इसके बाद सायंकाल 6 बजे मुख्य मंच पर अतिथियों द्वारा औपचारिक उद्घाटन किया जाएगा और संगीत सभाओं का सिलसिला शुरू होगा।
TANSEN SAMAROH 2025: तानसेन अलंकरण और राजा मानसिंह तोमर सम्मान

समारोह के शुभारंभ के साथ सम्मान समारोह भी आयोजित होगा।
तानसेन अलंकरण
- वर्ष 2024 – पं. राजा काले (मुंबई), शास्त्रीय गायन
- वर्ष 2025 – पं. तरुण भट्टाचार्य (कोलकाता), संतूर वादन
राजा मानसिंह तोमर सम्मान
- वर्ष 2024 – साधना परमार्थिक संस्थान समिति, मंडलेश्वर
- वर्ष 2025 – रागायन संगीत समिति, ग्वालियर
कुल 10 संगीत सभाएँ होंगी आयोजित
इस वर्ष समारोह के अंतर्गत कुल 10 संगीत सभाएँ होंगी।
- 15 दिसंबर की पहली सायंकालीन सभा तानसेन समाधि परिसर में
- प्रतिदिन प्रातः एवं सायं संगीत सभाएँ
- 18 दिसंबर को प्रातः दो समानांतर सभाएँ –
- तानसेन समाधि परिसर
- मुरैना जिले के बटेश्वर मंदिर परिसर
- 19 दिसंबर को प्रातः सभा तानसेन की जन्मस्थली बेहट में
- समापन सायंकालीन सभा गूजरी महल परिसर में होगी
पहले दिन की प्रमुख प्रस्तुतियाँ
प्रातः 10 बजे
- मजीद खां एवं साथी – शहनाई वादन
- ढोलीबुआ महाराज, संत सच्चिदानंदनाथ एवं साथी – हरिकथा
- कामिल हजरत, ग्वालियर – मीलाद
सायंकाल 6 बजे
- विक्रम राणा – शंखनाद
- माधव संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर – ध्रुपद गायन
- पं. तरुण भट्टाचार्य – संतूर वादन
- आभा–विभा चौरसिया, इंदौर – युगल गायन
- पं. राजा काले, मुंबई – शास्त्रीय गायन
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