भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत ?
Concetp: R P Shrivastav, Report: Vijay Nandan
जो कल तक खुद आतंकवाद का गढ़ कहलाता था, आज वही तालिबान, आतंकपरस्त पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाने में लगा है। अफगानिस्तान अब पाकिस्तान का पानी रोकने की तैयारी में है, कुनार नदी पर बांध बनाने का आदेश तालिबान के सर्वोच्च नेता ने दे दिया है। क्या तालिबान अब आतंक से नहीं, कूटनीति से जवाब देने लगा है? और सबसे अहम क्या ये भारत की कूटनीतिक जीत है? भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में नई गर्माहट आई है? क्या पाकिस्तान इस रिश्ते को पचा नहीं पा रहा है। आज की बहस का बड़ा सवाल यही है कि क्या तालिबान का पाकिस्तान पर पानी वार, भारत के लिए कूटनीतिक वरदान है? क्या अब भारत-अफगानिस्तान की दोस्ती, पाकिस्तान की सबसे बड़ी कमजोरी बनने वाली है? इस लेख में हमने इन सवालों का जवाब तलाशने की कोशिश की है। अंत में यू-ट्यूब वीडियो का लिंक है, जरूर देखें ।
अब तालिबान का ‘पाक पर प्रहार’, सिंधु के बाद ‘कुनार की मार’
अब बूंद-बूंद पानी को तरसेगा पाकिस्तान, भारत के बाद अफगानिस्तान भी पाकिस्तान की ओर जाने वाले पानी को रोकने की तैयारी कर रहा है। अफगान सूचना मंत्रालय ने सोशल मीडिया X पर पोस्ट कर इसकी जानकारी दी है। तालिबान सूचना मंत्रालय ने बताया कि तालिबानी सर्वोच्च नेता मावलवी हिबतुल्लाह अखुंदजादा ने कुनार नदी पर जल्द से जल्द बांध बनाने का आदेश दिया है। (GFX IN) 480 किलोमीटर लंबी कुनार नदी अफगानिस्तान से निकलकर पाकिस्तान में चितराल नदी बनकर काबुल नदी में मिलती है। कुनार नदी का 70-80% पानी पाकिस्तान में आता है। यह काबुल नदी फिर सिंधु नदी में शामिल होती है। अगर अफगानिस्तान बांध बनाकर कुनार का पानी रोकता है, तो पाकिस्तान को गंभीर नुकसान होगा। इसका सीधा असर खैबर पख्तूनख्वा पर पड़ेगा। इसके बाजौर, मोहम्मद जैसे इलाकों में खेती पूरी तरह इसी नदी पर निर्भर है। सिंचाई बंद होने से फसलें बर्बाद होने का खतरा बढ़ जाएगा। इसके अलावा, पानी रोकने से पाकिस्तान के चितराल जिले में कुनार नदी पर चल रहे 20 से ज्यादा छोटे हाइडल प्रोजेक्ट प्रभावित होंगे। ये सभी प्रोजेक्ट रन-ऑफ-रिवर हैं, यानी यह सीधे नदी के बहाव से बिजली बनाते हैं। अफगानिस्तान ने ये सख्त फैसला ऐसे ही नही लिया है, हाल के दिनों में पाकिस्तानी सेना द्वारा काबुल पर एयर स्ट्राइक की गई थी, पाक सेना के हमलों में 37 अफगान नागरिक मारे गए, और 425 से ज्यादा घायल हुए, इसमें अफगानिस्तान क्रिक्रेट टीम के तीन युवा खिलाड़ी भी शामिल हैं। (gfx out) फैसला तालिबानी शासकों ने लिया है, लेकिन पाकिस्तानी इसका ठीकरा भारत के सिर फोड़ रहे हैं।

तालिबान का पाक पर ‘वाटर वार’
- 480 किमी. कुनार नदी अफगानिस्तान से बहकर पाक जाती है
- कुनार नदी का 70-80% पानी पाकिस्तान में आता है
- अफगान बांध बनाकर कुनार का पानी रोकेगा, पाक बूंद-बूंद को तरसेगा
- पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा पर सीधा असर पड़ेगा
- बाजौर-मोहम्मद क्षेत्र में खेती पूरी तरह कुनार के पानी पर निर्भर
- सिंचाई बंद होने से फसलें बर्बाद होने का खतरा बढ़ जाएगा
- चितराल में कुनार पर 20 से ज्यादा छोटे हाइडल प्रोजेक्ट होंगे प्रभावित
- प्रोजेक्ट रन-ऑफ-रिवर यानी सीधे नदी के बहाव से बिजली बनाते हैं
- अफगानिस्तान सख्त फैसला लेने पर मजबूर क्यों हुआ ?
- पाक सेना द्वारा काबुल पर एयर स्ट्राइक की गई
- पाक सेना के हमलों में 37 अफगान नागरिक मारे गए
- 3 युवा क्रिकेटर्स भी मारे गए, 425 से ज्यादा लोग घायल हुए
अफगानिस्तान की ताबिलानी सरकार ने काबुल पर एयर स्ट्राइक के बाद जवाबी हमला भी किया, जिसमें 60 से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। तालिबान सरकार पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के बेदखली से भी खफा है। पाकिस्तान में लगभग 20 लाख अफगानी शरणार्थियों में से 12 लाख को पाकिस्तान ने वापस भेज दिया है। इसके साथ ही 1893 में खींची डूरंड लाइन को लेकर विवाद भी दोनों देशों में विवाद की वजह है, पाकिस्तान इसे अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमा कहता है, लेकिन अफगानिस्तान को इस पर आपत्ति है। आतंकवाद को बढ़ावा देने को लेकर भी दोनों देश एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव, भारत के लिए किसी कूटनीतिक मौके से कम नहीं है। वो कहते भी हैं ना, “दोस्त का दोस्त दोस्त होता है और दुश्मन का दोस्त दुश्मन। ऐसे में पाकिस्तान का पानी रोकना और तालिबान का रुख बदलना, भारत के रणनीतिक हितों के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। भारत पहले से ही अफगानिस्तान में सड़क, बांध, और शिक्षा जैसी कई विकास परियोजनाओं के माध्यम से अपनी मजबूत मौजूदगी बना चुका था। तालिबान के सत्ता में आने के बाद ये परियोजनाएँ भले ही थम गई थीं, लेकिन अब हालात एक बार फिर सुधार की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा ने दोनों देशों के बीच संवाद की नई राह खोली है।
भारत और अफगानिस्तान के बीच रिश्तों की नई शुरुआत पाकिस्तान को रास नहीं आ रही है। दरअसल जब तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी नई दिल्ली की यात्रा पर थे, उसी दौरान पाकिस्तानी सेना ने काबुल पर एयर स्ट्राइक कर दी, यह संयोग नहीं, बल्कि संदेश देने की एक साजिशपूर्ण कोशिश थी। पाकिस्तान अब चाबहार पोर्ट समझौते को लेकर भी अफगानिस्तान को भारत से दूर करने की कोशिशों में जुटा है। लेकिन सच्चाई यह है कि चाबहार बंदरगाह वही रणनीतिक रास्ता है जो पाकिस्तान को बाईपास करते हुए भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधा संपर्क प्रदान करता है। यही कारण है कि पाकिस्तान आज भारत-अफगान नजदीकी से बेचैन दिखाई दे रहा है। लेकिन तालिबान ने पाकिस्तान का पानी रोक कर संदेश साफ दे दिया है कि अब एयर स्ट्राइक और सैन्य कार्रवाई का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा।





