📌 मुख्य बिंदु (Highlights)
- स्वामी रामभद्राचार्य ने सेना प्रमुख को दी राम मंत्र की दीक्षा
- गुरुदक्षिणा में मांगा PoK, जिससे सोशल मीडिया पर मचा उत्साह
- 22 भाषाओं में दक्ष, पद्म विभूषण से सम्मानित दिव्यांग संत
- राम मंदिर केस में अहम गवाह, शिक्षाविद और समाजसेवी
🕉️ कौन हैं स्वामी रामभद्राचार्य?
स्वामी रामभद्राचार्य न केवल आध्यात्मिक जगत में एक प्रतिष्ठित नाम हैं, बल्कि वे रामानंद संप्रदाय के चार जगद्गुरुओं में से एक हैं। वे एक अद्वितीय विद्वान, कवि, लेखक और शिक्षक हैं, जो 22 भाषाओं में पारंगत हैं। जन्म से नेत्रहीन होने के बावजूद उन्होंने दिव्यांगों के लिए चित्रकूट में एक विश्वविद्यालय की स्थापना की और बिना ब्रेल लिपि के कई ग्रंथ रचे।
👉 जन्म नाम: गिरिधर मिश्रा
👉 जन्म स्थान: जौनपुर, उत्तर प्रदेश
👉 जन्म तिथि: मकर संक्रांति, 1950
👉 सम्मान: पद्म विभूषण
🇮🇳 जब आर्मी चीफ को दी गई राम मंत्र की दीक्षा
मध्य प्रदेश के चित्रकूट स्थित तुलसी पीठ आश्रम में स्वामी रामभद्राचार्य ने हाल ही में सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी को राम मंत्र की दीक्षा दी। यह मंत्र वही था जिसे मां सीता ने भगवान हनुमान को दिया था, जिससे हनुमान जी ने लंका विजय की।
🙏 गुरु दक्षिणा में मांगा PoK
दीक्षा देने के बाद स्वामी रामभद्राचार्य ने जो गुरु दक्षिणा मांगी, उसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया। उन्होंने जनरल उपेंद्र द्विवेदी से कहा:
“मैंने उनसे दक्षिणा मांगी है कि मुझे PoK (पाक अधिकृत कश्मीर) चाहिए।”
यह मांग प्रतीकात्मक थी, लेकिन इसमें राष्ट्रभक्ति और भारत की अखंडता का स्पष्ट संदेश था। सोशल मीडिया पर इस बयान की जमकर सराहना हो रही है, और कई लोग इसे ‘धार्मिक राष्ट्रवाद का उत्कृष्ट उदाहरण’ बता रहे हैं।
🌟 स्वामी रामभद्राचार्य की प्रेरणादायक जीवन यात्रा
👶 2 महीने की उम्र में खो दी थी आंखों की रोशनी
- बचपन में ही आंखों की रोशनी चली गई, लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
- अपने पितामह से सुन-सुन कर महाभारत, रामायण और अन्य ग्रंथ कंठस्थ कर लिए।
- 4 साल की उम्र से कविता पाठ और 8 साल में भागवत कथा का वाचन शुरू किया।
📚 शिक्षा और साहित्यिक योगदान
- ब्रेल लिपि के बिना ही पढ़ाई की और कई ग्रंथ लिखे।
- आध्यात्मिक शिक्षा के साथ-साथ तुलसी पीठ विश्वविद्यालय की स्थापना की जो दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए समर्पित है।
🏛️ राम मंदिर केस में अहम भूमिका
स्वामी रामभद्राचार्य ने राम मंदिर केस में महत्वपूर्ण गवाही दी थी। उनकी गवाही कोर्ट में इतनी विश्वसनीय मानी गई कि यह राम मंदिर निर्माण के पक्ष में निर्णायक साबित हुई।
🌐 सोशल मीडिया पर क्यों हो रही तारीफ?
स्वामी रामभद्राचार्य की PoK मांगने वाली गुरु दक्षिणा ने देशवासियों का दिल जीत लिया है। ये कुछ कारण हैं:
- यह मांग राष्ट्र की अखंडता और संप्रभुता को उजागर करती है।
- यह दिखाती है कि धर्मगुरु भी राष्ट्रहित में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं।
- सेना और संत के इस आध्यात्मिक संबंध को भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक माना जा रहा है।
✍️ निष्कर्ष: एक आध्यात्मिक मांग, जो बन गई राष्ट्रीय गर्व का कारण
स्वामी रामभद्राचार्य का बयान सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि राष्ट्रप्रेम और आध्यात्मिक प्रेरणा का अद्भुत संगम है। उनकी यह पहल न केवल एक प्रेरणा है, बल्कि यह दर्शाती है कि संतों की आवाज भी देशहित में बड़ी भूमिका निभा सकती है।





