लंदन: भारत की आध्यात्मिक विरासत एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर चमकी है। अखिल भारत हिंदू महासभा एवं संत महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष परम पूज्य स्वामी चक्रपाणि जी महाराज को ब्रिटेन की संसद हाउस ऑफ़ कॉमन्स में आयोजित International Conclave 2025 के दौरान Exemplary Leadership Award से सम्मानित किया गया। यह सम्मान सूर्य की तरह चमकते उस क्षण का प्रतीक बना, जब पूरा सभागार महाराज जी के लिए तालियों से गूंज उठा।
इस सम्मान को ब्रिटेन के सांसद जैक, सुहेल शेख, वीरेंद्र शर्मा, हैरो के मेयर, मेयर अंजना तथा वर्ल्ड लीडरशिप फोरम के संस्थापक नचिकेत जोशी ने संयुक्त रूप से प्रदान किया।

हाउस ऑफ़ कॉमन्स में वैश्विक नेतृत्व का सम्मान
Committee Room 14 में हुई इस अंतरराष्ट्रीय बैठक में स्वामी चक्रपाणि जी महाराज को वैश्विक नेतृत्व, आध्यात्मिक योगदान और विश्व-शांति के लिए किए गए प्रयासों के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में मौजूद प्रतिनिधियों ने खड़े होकर महाराज जी को अभिवादन किया—यह भारत के आध्यात्मिक प्रभाव की शक्ति का अद्भुत प्रमाण था।
हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में हाई-टी रिसेप्शन
सम्मान समारोह के बाद ब्रिटेन की हाउस ऑफ़ लॉर्ड्स में Cholmondeley Room and Terrace में Lord Sahota ने महाराज जी के सम्मान में विशेष Afternoon High-Tea Reception आयोजित किया। यह ब्रिटेन की श्रेष्ठ संसदीय परंपराओं में से एक है, जो केवल विशिष्ट अंतरराष्ट्रीय मेहमानों को दिया जाता है।
- स्वामी चक्रपाणि जी महाराज के योगदान पर विश्व मंच से सराहना
- कार्यक्रम में उनके उल्लेखनीय कार्यों का विशेष उल्लेख किया गया—
- श्री राम जन्मभूमि मामले में मुख्य पक्षकार
- मुंबई बमकांड के दोषी दाऊद इब्राहिम के आतंक के विरुद्ध ऐतिहासिक प्रतिरोध
- राष्ट्रहित, धर्मरक्षा और सनातन संस्कृति के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका
- विश्व-शांति, मानवता और आध्यात्मिक जागरण के लिए सतत प्रयास
महाराज जी का प्रेरक संदेश
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि “भारत आध्यात्मिक ध्रुव तारा है। जब भारत का ज्ञान और ब्रिटेन की प्रशासनिक क्षमता साथ चलेंगी, विश्व शांति एक वास्तविकता बनेगी।” उन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की विचारधारा को विश्व के भविष्य का मार्ग बताया।
विश्वभर से शुभकामनाओं की बाढ़
ब्रिटेन संसद में सम्मान की खबर फैलते ही भारत सहित अमेरिका, यूरोप, मध्य-पूर्व, ऑस्ट्रेलिया और एशिया से लगातार बधाइयों का सिलसिला शुरू हो गया। संत समाज, भारतीय प्रवासी समुदाय और अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठन लगातार संदेश भेजते रहे। स्वामी चक्रपाणि जी महाराज का यह सम्मान केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक शक्ति, सनातन संस्कृति की सार्वभौमिकता और विश्व-शांति के संदेश का वैश्विक स्वीकार है।
यह क्षण पूरे सनातन समाज के लिए गौरव का प्रतीक बन गया है।





