BY: Yoganand Shrivastva
अहमदाबाद: अहमदाबाद से लंदन के लिए उड़ान भरने वाले एयर इंडिया के विमान AI-171 के क्रैश में 241 यात्रियों की मौत हो गई, जबकि एकमात्र जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार ने हादसे से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य उजागर किए हैं। उनका कहना है कि क्रैश के झटके से विमान का एक आपातकालीन द्वार स्वतः खुल गया, जिससे हवा के तेज झोंके ने उन्हें आग की लपटों से बचा लिया।
क्या “आपातद्वार” वास्तव में मुख्य द्वार था?

विश्वास कुमार की सीट विमान के इकॉनमी क्लास की पहली पंक्ति में थी, जो कि बिजनेस क्लास के ठीक पीछे स्थित है। संदेह है कि उन्होंने जिसे “आपातद्वार” बताया, वह असल में विमान का मुख्य अगला द्वार था, क्योंकि सामान्यतः इमरजेंसी एग्जिट इकॉनमी क्लास के मध्य भागों में होते हैं। लेकिन उस क्षेत्र में लगे द्वार का अचानक खुल जाना अपने आप में तकनीकी जांच का विषय है।
क्रैश स्थल का नक्शा और संभावित गिरावट का बिंदु

लंदन के प्रतिष्ठित समाचार पत्र The Guardian में प्रकाशित नक्शे और गूगल अर्थ की छवियों के अनुसार:
- बिंदु 1: रनवे का अंतिम सिरा
- बिंदु 2: क्रैश का पहला संपर्क स्थल – रॉयल मेस (डॉक्टर्स की बिल्डिंग)
- बिंदु 3: हॉस्टल “अतुल्य-1” का उत्तरी हिस्सा, जहां टक्कर से दीवार क्षतिग्रस्त हुई
- बिंदु 4: हॉस्टल का दक्षिणी छोर, जहां विमान का इंजन मिला
- पीला चक्र: वह स्थान जहां से विमान ने हवा में ही गिरना शुरू कर दिया, यानि संभवतः यहीं ईंधन की समाप्ति हुई
क्रैश की दिशा और गति को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि विमान के इंजन में अचानक फ्यूल सप्लाई बंद हो गई। यह या तो तकनीकी खराबी, या किसी संभावित सैबोटाज (सुनियोजित sabotage) का नतीजा हो सकता है।

क्या फ्यूल की समाप्ति का कारण पायलट की गलती थी?
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि ईंधन की कमी एक पायलट की लापरवाही का नतीजा हो सकती है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों और टेक्निकल आंकड़ों से प्रतीत होता है कि यह पूरी तरह पायलट की गलती नहीं है। दरअसल, पायलट को भी इंधन खत्म होने की चेतावनी नहीं मिली थी, जो ईंधन सेंसर प्रणाली की विफलता की ओर इशारा करता है।
इंटरनैशनल घटनाओं से मिलती-जुलती कहानी
डेल्टा एयरलाइंस की पूर्व पायलट एंड्रिया रैटफील्ड ने भी फ्लाइट सेफ्टी के नियमों के उल्लंघन की जानकारी अपनी कंपनी को दी थी, जिसके बाद उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। बाद में मुकदमे में एंड्रिया की जीत हुई और साबित हुआ कि कंपनी जानबूझकर सुरक्षा नियमों की अनदेखी कर रही थी। इस मिसाल से यह सवाल उठता है कि क्या एयर इंडिया या उसकी सहयोगी प्रणालियों ने भी सुरक्षा मानकों में ढील दी थी?
क्या तुर्की की मेंटेनेंस कंपनी जिम्मेदार है?
कई विशेषज्ञ तुर्की की मेंटेनेंस कंपनी को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि मेंटेनेंस कंपनी की ज़िम्मेदारी सिर्फ उस समय शुरू होती है जब विमान की कोई गड़बड़ी पहले से रिपोर्ट की गई हो। यदि इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से छेड़छाड़ की गई हो – जैसे रिमोट हैकिंग के जरिए फ्यूल सिस्टम को बंद करना – तो यह एक अंतरराष्ट्रीय साजिश या गंभीर लापरवाही का मामला हो सकता है।
जांच की दिशा और ब्लैक बॉक्स की भूमिका
हादसे के दो ब्लैक बॉक्स में से एक मिल चुका है जबकि दूसरा मलबे में खोजा जा रहा है। ब्लैक बॉक्स के डाटा से यह साफ हो पाएगा कि आखिरी क्षणों में विमान की तकनीकी स्थिति, कॉकपिट बातचीत, और सेंसर रीडिंग्स क्या थीं। इससे यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि ईंधन की आपूर्ति में रुकावट किसी तकनीकी खामी, मानव त्रुटि, या फिर साजिशन हस्तक्षेप के कारण आई थी।
इस हादसे ने न केवल 241 लोगों की जान ली, बल्कि एक बार फिर विमान सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय एविएशन कंपनियों की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अंतिम जांच रिपोर्ट आने में समय लगेगा, लेकिन अभी से यह स्पष्ट है कि यह केवल एक ‘दुर्घटना’ नहीं, बल्कि एक व्यापक लापरवाही या सुनियोजित गड़बड़ी का संकेत हो सकता है।





