BY: MOHIT JAIN
कांग्रेस सांसद और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों को हाल ही में बड़ा झटका जरूर लगा है, लेकिन दीर्घकालिक हित दोनों देशों को एक समान स्तर पर वापस लाएंगे। उनका कहना है कि टैरिफ बढ़ोतरी और H-1B वीजा शुल्क में इजाफे के बावजूद दोनों देशों में विभिन्न स्तरों पर सहयोग जारी है।
“वापसी का रास्ता अभी भी खुला”
एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या भारत-अमेरिका संबंध अब उस मोड़ पर पहुंच गए हैं, जहां से वापसी मुश्किल है, तो थरूर ने साफ कहा:
“नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं है। यह अल्पकालिक झटका है, लेकिन बड़ी तस्वीर देखें तो दोनों देश लंबे समय तक सहयोग करते रहेंगे।”
उन्होंने माना कि इन फैसलों से भारत को नुकसान हो रहा है, खासकर नौकरियों के मामले में, लेकिन उनका विश्वास है कि रक्षा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), आईटी और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में दोनों देश लगातार साथ काम करते रहेंगे।
भारतीय समुदाय है मजबूत कड़ी
थरूर ने अमेरिका में बसे भारतीय समुदाय की अहम भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उनके अनुसार:
- अमेरिका में 40 लाख से ज्यादा भारतीय मूल के लोग रहते हैं।
- भारतीय छात्र अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्रों का सबसे बड़ा समूह हैं।
- सिलिकॉन वैली के कई शीर्ष सीईओ भारतीय मूल के हैं।
अमेरिकी जनगणना ब्यूरो और American Community Survey 2023 के आंकड़े भी बताते हैं कि अमेरिका में करीब 59 लाख लोग भारतीय मूल के हैं, जो वहां की एशियाई आबादी का 21% हिस्सा हैं।
#WATCH | Speaking on tariff imposed by the US, in an interview to ANI, former MoS MEA and Congress MP Shashi Tharoor says, "No, I would not say it's a point of no return because I do believe that the longer-term interests of both countries will eventually bring us back on even… pic.twitter.com/mZENDnIPUD
— ANI (@ANI) September 23, 2025
“अनुचित टैरिफ और अपमानजनक बयान”
भारत पर लगाए गए टैरिफ को लेकर थरूर ने सवाल उठाया कि जब भारत और अमेरिका तीन दशकों से मजबूत साझेदारी निभा रहे हैं, तो अचानक ऐसे फैसले की जरूरत क्यों पड़ी?
उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल अनुचित है, बल्कि इससे भारत में गहरी नाराज़गी भी है। ट्रंप की भाषा, उनके ट्वीट्स और सलाहकार पीटर नवारो के अपमानजनक बयानों ने दोनों देशों के बीच अनावश्यक तनाव पैदा किया है।
भविष्य की साझेदारी पर विश्वास
थरूर ने अंत में भरोसा जताया कि इन चुनौतियों के बावजूद भारत और अमेरिका के संबंध टूटने वाले नहीं हैं। दोनों देशों के दीर्घकालिक हित, साझा लोकतांत्रिक मूल्य और रणनीतिक सहयोग अंततः रिश्तों को और मजबूत बनाएंगे।





