Edit by: Priyanshi Soni
Saudi और यूनाइटेड अरब अमीरात (UAE) में आने वाले वर्षों में रोजगार के बड़े अवसर पैदा होने वाले हैं। एक ग्लोबल वर्कफोर्स स्टडी के मुताबिक, दोनों देशों में अगले पांच साल में हर साल करीब 3 लाख नई नौकरियां सृजित होंगी। 2030 तक कुल मिलाकर 15 लाख से ज्यादा अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत पड़ सकती है।
AI के दौर में भी घटेगी नहीं इंसानी नौकरियों की मांग
रिसर्च के मुताबिक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बिजनेस के काम करने के तरीके को जरूर बदल रहा है, लेकिन इससे खाड़ी देशों में इंसानी कर्मचारियों की कुल मांग कम नहीं होगी। इसके उलट, तेज आर्थिक विकास, बड़े डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स और पब्लिक व प्राइवेट सेक्टर के विस्तार से लेबर डिमांड लगातार बढ़ रही है।
विजन 2030 से बढ़ी वर्कफोर्स की जरूरत
सऊदी अरब में वर्कफोर्स की मांग क्राउन प्रिंस के विजन 2030 कार्यक्रमों के कारण तेजी से बढ़ रही है।
इन योजनाओं के तहत कंस्ट्रक्शन इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म, मैन्युफैक्चरिंग, लॉजिस्टिक्स, नए इकोनॉमिक जोन में भारी निवेश किया जा रहा है, जिससे बड़े पैमाने पर नौकरियां पैदा होंगी।
ऑटोमेशन के बावजूद सऊदी को मजदूरों की कमी
स्टडी का अनुमान है कि अगर AI से प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी न हो, तो सऊदी अरब को अपने विस्तार योजनाओं को संभालने के लिए 6.5 लाख अतिरिक्त वर्कर्स की जरूरत पड़ेगी। ऑटोमेशन के बावजूद आने वाले सालों में सऊदी अरब को लेबर शॉर्टेज का सामना करना पड़ सकता है।

UAE में भी तेजी से बढ़ेगा लेबर मार्केट
संयुक्त अरब अमीरात में भी वर्कफोर्स की मांग में तेज उछाल देखने को मिलेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 तक UAE का कुल वर्कफोर्स 12.1% तक बढ़ सकता है, जो इसे स्टडी किए गए देशों में सबसे तेजी से बढ़ने वाले लेबर मार्केट्स में शामिल करता है।
अमेरिका-यूके से कहीं ज्यादा तेज ग्रोथ
रिपोर्ट बताती है कि, UAE: 12.1% वर्कफोर्स ग्रोथ, सऊदी अरब: 11.6% ग्रोथ जबकि अमेरिका (2.1%) और यूके (2.8%) जैसी विकसित अर्थव्यवस्थाओं में रोजगार विस्तार की रफ्तार काफी धीमी रहेगी।
भारतीयों के लिए क्यों है बड़ी खुशखबरी
स्टडी के मुताबिक, UAE और सऊदी अरब में खासतौर पर इन सेक्टर्स में कर्मचारियों की मांग बढ़ेगी। मैन्युफैक्चरिंग, एजुकेशन, रिटेल, हेल्थकेयर, फाइनेंशियल सर्विसेज, टेक्नोलॉजी इन क्षेत्रों में दोनों देश विदेशी कामगारों पर निर्भर रहेंगे, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स और वर्कर्स के लिए बड़े अवसर पैदा होंगे। आने वाले वर्षों में खाड़ी देशों में भारतीयों की डिमांड और मजबूत होने की उम्मीद है।





