BY: MOHIT JAIN
दुर्ग जिले में सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर करीब 45 लाख रुपए की ठगी का मामला सामने आया है। आरोपी ने खुद को मंत्रालय में बड़ा अधिकारी बताकर 25 लोगों को अपने विश्वास में लिया और उनसे रकम ऐंठ ली। पुलिस ने मुख्य साजिशकर्ता अरुण मेश्राम (54 वर्ष) और उसके दो साथियों को गिरफ्तार किया है।
मास्टरमाइंड अरुण मेश्राम फरार था
अरुण मेश्राम कांकेर में एक किराये के मकान में छिपा हुआ था, जहां पुलिस ने 14 अक्टूबर को दबिश देकर उसे गिरफ्तार किया। इससे पहले दो आरोपी भेषराम देशमुख और उसका बेटा रविकांत देशमुख पहले ही जेल जा चुके थे। पूछताछ में अरुण ने बताया कि उसने और उसके साथियों ने सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर 20-25 लोगों से पैसे ऐंठे थे।
ठगी का तरीका और आरोपी का खेल

मामला 2 जुलाई 2022 का है। ग्राम चिरचार निवासी संतराम देशमुख (54) ने अंजोरा चौकी में शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी भेषराम और रविकांत ने अरुण के साथ मिलकर उन्हें 5 लाख रुपए लेकर नौकरी दिलाने का झांसा दिया, लेकिन वादा पूरा नहीं किया। इसके बाद अन्य लोगों से भी इसी तरह की ठगी का पता चला और पुलिस ने जांच शुरू की।
ठगी की रकम से खरीदी संपत्ति और घर खर्च
अरुण मेश्राम ने पुलिस को बताया कि ठगी की रकम तीनों के बीच बांटी गई थी। अपने हिस्से से उसने कांकेर में लगभग 15 लाख रुपए का प्लॉट खरीदा और पिछले तीन साल से इसी रकम से घर खर्च चला रहा था। गिरफ्तार आरोपी के पास प्लॉट खरीदने का एग्रीमेंट और नकद 4,000 रुपए भी बरामद हुए।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
6 सितंबर 2025 को भेषराम और रविकांत को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस अब ठगी के शिकार अन्य लोगों की पहचान कर रही है। साथ ही, ठगी की रकम से खरीदी गई अन्य संपत्तियों की जांच भी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि आरोपी ने मंत्रालय में अफसरों से जान पहचान होने का फायदा उठाकर लोगों को भरोसे में लिया और लाखों रुपए ठग लिए।