BY: Yoganand Shrivastva
तमिलनाडु: कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र के तीसरे यूनिट के लिए रूस ने न्यूक्लियर फ्यूल की पहली खेप भारत भेज दी है। यह फ्यूल कार्गो फ्लाइट के माध्यम से भारत पहुंचा। खास बात यह है कि यह सप्लाई ऐसे समय में आई है जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत के दो दिवसीय दौरे पर मौजूद हैं।
7 फ्लाइट्स में आएगी पूरी सप्लाई
रूस की न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन रोसाटॉम ने बताया कि यह खेप उसके न्यूक्लियर फ्यूल डिवीजन के जरिए भेजी गई है।
नोवोसिबिर्स्क केमिकल कंसन्ट्रेट प्लांट में तैयार किए गए फ्यूल असेंबली को भारत भेजने के लिए कुल सात कार्गो फ्लाइट्स की योजना बनाई गई है। इन फ्लाइट्स के माध्यम से पूरे रिएक्टर कोर और रिज़र्व फ्यूल की सप्लाई सुनिश्चित की जाएगी।
2024 के करार के तहत हो रही आपूर्ति
यह फ्यूल डिलीवरी 2024 में हुए समझौते के तहत की जा रही है, जिसमें कुडनकुलम के तीसरे और चौथे VVER-1000 रिएक्टर की प्रारंभिक और पूरी सर्विस लाइफ के लिए परमाणु ईंधन उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
कुडनकुलम प्लांट में 6 रिएक्टरों का लक्ष्य
कुडनकुलम परियोजना में कुल 6 VVER-1000 रिएक्टर लगाए जा रहे हैं, जिनकी संयुक्त क्षमता 6,000 मेगावॉट होगी।
- पहले दो रिएक्टर 2013 और 2016 में ग्रिड से जुड़ चुके हैं।
- शेष चार रिएक्टरों का निर्माण कार्य प्रगति पर है।
भारत-रूस इंजीनियर मिलकर बढ़ा रहे क्षमता
रोसाटॉम के अनुसार, पहले फेज के दो रिएक्टरों के संचालन के दौरान भारतीय और रूसी इंजीनियरों ने मिलकर उनकी कार्यक्षमता बढ़ाने पर जोर दिया है। इसके लिए एडवांस्ड न्यूक्लियर फ्यूल का उपयोग और फ्यूल साइकिल बढ़ाने जैसे कदम उठाए गए हैं।





