रक्षा से ऊर्जा तक: दोस्ताना रिश्तों ने भारत–रूस साझेदारी को बनाया दुनिया का सबसे टिकाऊ गठबंधन
by: vijay nandan
नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन गुरुवार और शुक्रवार (4–5 दिसंबर 2025) को भारत के दौरे पर आने वाले हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच यह उनकी पहली भारत यात्रा होगी और इसे अत्यंत रणनीतिक माना जा रहा है। यह दौरा भारत-रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर आयोजित किया जा रहा है। इस दौरान 23वां भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन भी होगा, जिस पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।

केवल भरोसेमंद देशों में जाते हैं पुतिन
रूसी राष्ट्रपति बहुत सीमित विदेश दौरों पर जाते हैं। वे आम तौर पर वही देश चुनते हैं जो सामरिक सहयोगी हों या फिर जहां रूस के दीर्घकालिक हित जुड़े हों। भारत को लंबे समय से रूस का “विश्वसनीय साझेदार” माना जाता है और यही वजह है कि यह दौरा कूटनीति, निवेश, रक्षा और भू-राजनीति—सभी दृष्टिकोणों से अहम माना जा रहा है।
- पुतिन का 30 घंटे का भारतीय शेड्यूल
- 4 दिसंबर: आगमन और निजी वार्ता
- पुतिन शाम करीब 6 बजे नई दिल्ली पहुंचेंगे।
- आगमन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्राइवेट डिनर होगा।
- शाम के निजी कार्यक्रमों में दोनों नेताओं के बीच रणनीतिक और सुरक्षा मामलों पर सीमित वार्ता होने की संभावना।
- 5 दिसंबर: आधिकारिक कार्यक्रमों की लंबी श्रृंखला
- 9:30 बजे राष्ट्रपति भवन में पुतिन का औपचारिक स्वागत।
राजघाट में महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि।
इसके बाद सीमित दायरे की वार्ता और हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय एवं प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठकें।
समझौतों की घोषणा, उसके बाद मीडिया के लिए संयुक्त वक्तव्य।
भारत-रूस बिजनेस फोरम, जिसमें दोनों देशों के प्रमुख उद्योगपति शामिल हो सकते हैं।
राष्ट्रपति भवन में राज्य भोज, जिसके तुरंत बाद पुतिन भारत से प्रस्थान करेंगे।

किन मुद्दों पर होगी चर्चा?
इस यात्रा में रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, तकनीक, व्यापार और भू-रणनीति जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निर्णय और साझेदारियों की घोषणा होने की उम्मीद है।
- रक्षा सौदे: नए S-400 एयर डिफेंस रेजीमेंट पर वार्ता संभावित।
- Su-57 फाइटर जेट प्रस्ताव: रूस भारत को पाँचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान देने की पेशकश कर रहा है, जिसमें तकनीक हस्तांतरण और संयुक्त उत्पादन मॉडल शामिल हो सकता है।
- ऊर्जा साझेदारी: परमाणु ऊर्जा, तेल-गैस और लॉन्ग-टर्म ट्रेड पर बड़े निर्णय संभव।
वैश्विक मुद्दे: यूक्रेन संकट, इंडो-पैसिफिक संतुलन, BRICS+ सहयोग, और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर वार्ता की संभावना। इस दौरे को सिर्फ एक औपचारिक मुलाकात नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे भारत-रूस रिश्तों की अगली दिशा तय करने वाला निर्णायक पड़ाव समझा जा रहा है।

रूस और भारत के रिश्ते दो दशक से ज्यादा पुराने हैं, इस रिश्ते को पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया है। पीएम मोदी राष्ट्रपति पुतिन की दोस्ती सिर्फ औपचारिक कूटनीति नहीं, बल्कि व्यक्तिगत भरोसे का परिणाम भी है। वैश्विक दबावों और यूक्रेन युद्ध जैसे संकटों के बीच भी भारत–रूस संबंध स्थिर बने रहे, क्योंकि दोनों नेताओं ने संवाद को रणनीतिक हितों से आगे भावनात्मक सामंजस्य तक पहुँचाया। पुतिन का सीमित विदेशी दौरों में भारत को प्राथमिकता देना और मोदी का रूस को पारंपरिक सहयोगी मानना, इसी समझ का प्रमाण है। यह रिश्ता दुनिया को बताता है कि भू-राजनीति केवल शक्ति संतुलन नहीं, बल्कि भरोसे पर आधारित संतुलित दृष्टिकोण भी है। जहाँ व्यक्तिगत संबंध राष्ट्रीय हितों को दिशा देते हैं।





