30 मार्च 2025 को गुवाहाटी में खेले गए IPL 2025 के मुकाबले में राजस्थान रॉयल्स (RR) ने चेन्नई सुपर किंग्स (CSK) को 6 रन से हराकर एक रोमांचक जीत दर्ज की। इस मैच का आखिरी ओवर चर्चा का केंद्र रहा, जहां संदीप शर्मा ने 20 रन डिफेंड करके RR को जीत दिलाई। लेकिन इस जीत के पीछे एक ऐसा फैसला था जो शायद उतना सुर्खियों में नहीं आया—युवा कप्तान रियान पराग का संदीप को आखिरी ओवर सौंपने का साहसिक निर्णय। यह पल न केवल मैच का टर्निंग पॉइंट था, बल्कि पराग की उभरती हुई कप्तानी की झलक भी दिखाता है।

फैसले की पृष्ठभूमि
RR की टीम इस सीजन में पहले दो मैच हार चुकी थी, और पराग के लिए यह तीसरा मौका था अपनी कप्तानी साबित करने का। CSK को आखिरी ओवर में 20 रन चाहिए थे, और एमएस धोनी जैसे अनुभवी बल्लेबाज क्रीज पर थे। ऐसे में दबाव असाधारण था। पराग के पास जोफ्रा आर्चर जैसे स्टार तेज गेंदबाज का विकल्प था, जिन्होंने अपने चार ओवर पूरे नहीं किए थे। आमतौर पर टी20 क्रिकेट में बड़े गेंदबाजों को डेथ ओवर्स में प्राथमिकता दी जाती है, खासकर जब विरोधी टीम में धोनी जैसे फिनिशर हों। लेकिन पराग ने अनुभवी भारतीय गेंदबाज संदीप शर्मा पर भरोसा जताया।
पराग का “गट फीलिंग” और रणनीति
मैच के बाद पराग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलासा किया कि यह उनका “गट फीलिंग” था। उन्होंने कहा, “हमारे पास सात गेंदबाजी विकल्प थे, और मैं हर ओवर के बाद हालात को देख रहा था। मुझे लगा कि संदीप भाई उस पल के लिए सही थे।” यह फैसला सिर्फ अंतर्जनन पर आधारित नहीं था—संदीप की डेथ ओवर्स में सटीक यॉर्कर और धीमी गेंदों की विविधता भी इसमें शामिल थी। पराग ने पिच की स्थिति और CSK के बल्लेबाजों की आक्रामकता को भांपते हुए यह जोखिम लिया। संदीप ने पहली ही गेंद पर धोनी को आउट कर उनके भरोसे को सही साबित किया, जिसके बाद ओवर में सिर्फ 13 रन बने और RR जीत गई।
क्यों है यह पल खास?
यह घटना इसलिए अनदेखी रह गई क्योंकि ज्यादातर चर्चा संदीप की गेंदबाजी और धोनी के आउट होने पर केंद्रित रही। लेकिन पराग का यह निर्णय उनकी कप्तानी में परिपक्वता और आत्मविश्वास का संकेत देता है। 23 साल की उम्र में, दो हार के बाद दबाव में, एक अनुभवी टीम के खिलाफ ऐसा कॉल लेना आसान नहीं होता। परंपरागत रूप से स्टार विदेशी गेंदबाज पर दांव लगाने के बजाय स्थानीय अनुभव को चुनना एक नई सोच को दर्शाता है। यह RR के लिए भविष्य में पराग के नेतृत्व की नींव भी रख सकता है।
अनदेखा पहलू
मीडिया और फैंस ने नितीश राणा की 81 रन की पारी या वनिंदु हसरंगा के 4 विकेट्स पर ज्यादा ध्यान दिया, लेकिन पराग का यह रणनीतिक दांव उनकी उभरती प्रतिभा का प्रमाण है। अगर आर्चर को ओवर दिया जाता और वह महंगे साबित होते, तो शायद पराग की आलोचना होती। लेकिन इस जोखिम ने न सिर्फ मैच जिताया, बल्कि एक युवा कप्तान के आत्मविश्वास को भी उजागर किया। यह पल उन लोगों के लिए प्रेरणा हो सकता है जो खेल में रणनीति और नेतृत्व के सूक्ष्म पहलुओं को समझना चाहते हैं।
निष्कर्ष
रियान पराग का आखिरी ओवर में संदीप शर्मा को चुनना सिर्फ एक फैसला नहीं, बल्कि एक कहानी है—दबाव में ठंडे दिमाग, टीम पर भरोसे, और अपनी सोच पर अडिग रहने की। IPL जैसे हाई-प्रोफाइल टूर्नामेंट में जहां हर कदम की छानबीन होती है, यह अनदेखा पल पराग को एक उभरते हुए लीडर के रूप में परिभाषित कर सकता है। यह न केवल RR के फैंस, बल्कि क्रिकेट प्रेमियों के लिए भी एक ऐसी कहानी है जो अभी पूरी तरह से सामने नहीं आई है।