दंतेवाड़ा, 16 जून 2025 — कोडेनार ग्राम पंचायत के ठेकेदार पारा में सात दशक की उम्र पार कर, बालमणि यादव नामक आंगनबाड़ी सहायिका ने आज अपने 65 वर्षों के सेवा–यात्रा को पूरा कर सेवानिवृत्ति ले ली हैं। किरंदुल सेक्टर की समस्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाओं ने भावपूर्ण समारोह में उन्हें शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया और स्मृति–चिह्न भेंट किए, जिसके दौरान बालमणि यादव की आंखों में आंसू छलक पड़े, जिसने नेत्रहीन भावों को व्यक्त किया।
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जीवन संघर्ष और निष्ठा की मिसाल
- शांत स्वभाव और मिलनसार व्यक्तित्व की धनी बालमणि यादव ने, पति एवं बेटे के निधन के बाद, अकेली बेटी का सहारा लेकर अपने परिवार का बोझ कम किया।
- उन्होंने आंगनबाड़ी केंद्र को ही अपनी दुनिया मान कर समर्पण से कार्य किया — समय पर केंद्र खोलना, बच्चों को भोजन कराना, खेलना और स्नेह देना उनकी दिनचर्या रही।
मानदेय सेुरी यात्रा को सम्मान
- बालमणि यादव ने मात्र ₹50 मासिक मानदेय से अपने कार्य की शुरुआत की और सीधी यात्रा तय कर ₹5,000 प्रति माह की राशि तक पहुंचाईं।
- लेकिन आज, सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें न तो पेंशन मिली है और न ही कोई सहायता — यह एक गहरा संकट बन कर उभरा है।
बुढ़ापे की चिंता — सामाजिक अनदेखी की कहानी
- बालमणि यादव ने बताया कि बुढ़ापे में जीविका चलाने की चिंता उन्हें आज से ही सताने लगी है।
- बालमणि जैसे हजारों सहायिकाओं के सम्मान में, सरकार से बुजुर्गावस्था पेंशन या मानदेय आधारित सहायता योजना शुरू करने की अपेक्षा जता रही हैं, ताकि जो लोग जीवन–भर समाज सेवा के लिए कम मानदेय पर समर्पित रहे, उन्हें सम्मान और सहारा मिल सके।
स्थानीय प्रतिक्रिया और संवेदनाएं
- समारोह में उपस्थित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता–सहायिकाओं ने बालमणि को ‘संघर्ष और सेवा की प्रतिमूर्ति’ बताते हुए कहा कि उनकी प्रतिबद्धता प्रेरणा देती है।
- ग्रामवासी भी बालमणि को आदर्श मानते हैं, जिन्हें एक संगठित समुदाय के लिए सम्मान और सुरक्षा की आवश्यकता है।