Report: Ram Yadav
Edit BY: Yoganand Shrivastva
विदिशा (मध्यप्रदेश)। देशभर में जहां दशहरे पर रावण दहन होता है, वहीं मध्यप्रदेश के विदिशा जिले का एक गांव ऐसा भी है जहां रावण को देवता मानकर पूजा की जाती है। नटेरन तहसील में स्थित इस गांव का नाम ही रावण गांव है। यहां एक प्राचीन मंदिर है, जिसमें रावण की लेटी हुई अवस्था में विशाल पाषाण प्रतिमा स्थापित है। ग्रामीण इसे ‘रावण बाबा’ कहकर पुकारते हैं और प्रतिदिन उनकी पूजा-अर्चना करते हैं।
रोजाना होती है पूजा, शादी का पहला न्योता रावण बाबा को
गांव की परंपरा के मुताबिक, किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत रावण बाबा की पूजा से होती है। शादी-ब्याह में पहला निमंत्रण रावण मंदिर को ही दिया जाता है। प्रतिमा की नाभि में तेल चढ़ाकर शुभ कार्य का आरंभ किया जाता है। यहां तक कि जब कोई ग्रामीण नया वाहन खरीदता है तो उस पर जय लंकेश या रावण लिखवाना परंपरा मानी जाती है।
महिलाएं घूंघट कर लेती हैं मंदिर के सामने
गांव की विवाहित महिलाएं जब मंदिर के सामने से गुजरती हैं तो आज भी घूंघट कर लेती हैं। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और ग्रामीण इसे सम्मान और आस्था से जोड़कर देखते हैं।
दशहरे पर नहीं होता रावण दहन
जहां देशभर में दशहरे पर रावण दहन का आयोजन होता है, वहीं रावण गांव के लोग इसमें शामिल तक नहीं होते। उनका मानना है कि रावण यहां देवता के रूप में पूजे जाते हैं और उनके दहन का हिस्सा बनना सही नहीं है।
परमार काल का है मंदिर
ग्रामीणों के मुताबिक, यह मंदिर परमार काल का है और सदियों से गांव की आस्था का केंद्र बना हुआ है। यहां स्थापित विशाल प्रतिमा और दीवारों पर लिखी रावण की आरती आज भी लोगों की श्रद्धा का केंद्र है।
किवदंतियां और मान्यताएं
मंदिर को लेकर कई किवदंतियां भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि यह प्रतिमा स्वयंभू है और तभी से यहां रावण की पूजा शुरू हुई। ग्रामीणों का विश्वास है कि रावण बाबा की पूजा करने से हर कार्य सफल होता है और गांव में सुख-समृद्धि बनी रहती है।