BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा आयोजित नियंत्रक सम्मेलन में शामिल हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की रक्षा व्यवस्था, बजट प्रबंधन और वैश्विक रक्षा बाजार को लेकर कई अहम बातें कहीं। सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि “दुनिया आज भारत की रक्षा क्षमताओं को गंभीरता से देख रही है, और हमें इस अवसर का भरपूर लाभ उठाना चाहिए।”
रक्षा मंत्रालय पर बड़ी जिम्मेदारी: “हम सिर्फ आंकड़े नहीं, सुरक्षा का आत्मविश्वास दे रहे हैं”
राजनाथ सिंह ने सम्मेलन में कहा कि इस विभाग की भूमिका केवल आंकड़ों और दस्तावेज़ों तक सीमित नहीं होनी चाहिए।
“जब आप निष्ठा और पारदर्शिता से कार्य करते हैं, तो उसका प्रभाव हमारे उन जवानों तक पहुंचता है जो सीमाओं पर डटे हैं। उन्हें यह भरोसा होता है कि उनके पीछे एक मज़बूत और संगठित तंत्र खड़ा है,”
उन्होंने यह भी कहा कि एक प्रभावशाली रक्षा ढांचा तब बनता है जब हम धन का सही समय, उद्देश्य और स्थान पर उपयोग करते हैं।
“हमारा रक्षा बजट कई देशों की GDP से बड़ा”
सम्मेलन में रक्षा बजट को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा:
“भारत का रक्षा बजट इतना विशाल है कि यह दुनिया के कुछ देशों की कुल GDP को पार कर जाता है। यह हम पर और बड़ी ज़िम्मेदारी डालता है कि इस फंड का उपयोग कुशलता और पारदर्शिता से हो।”
उन्होंने यह भी बताया कि रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) ने पहली बार GeM पोर्टल के माध्यम से पूंजीगत खरीद को मंजूरी दी है, जो सुधारवादी कदम है। साथ ही विभाग केंद्रीकृत डेटा प्रबंधन और वेतन प्रणाली पर भी काम कर रहा है।
स्वदेशी रक्षा उपकरणों की वैश्विक मांग बढ़ी: ऑपरेशन सिंदूर का असर
राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में खास तौर पर ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए कहा:
“भारत के जवानों ने जिस वीरता और कौशल का परिचय दिया और जिन स्वदेशी हथियारों और तकनीकों का उपयोग किया, उसने वैश्विक स्तर पर भारत की छवि को बदला है। हमारे रक्षा उत्पादों की मांग में लगातार इज़ाफा हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि 2024 में वैश्विक सैन्य खर्च 2.7 ट्रिलियन डॉलर से अधिक पहुंच गया है। यह हमारे लिए एक बड़ा अवसर है, जहां भारत रक्षा उत्पादन और निर्यात में बड़ी भूमिका निभा सकता है।
रक्षा अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने की ज़रूरत: शांति के समय में ही करनी होगी तैयारी
राजनाथ सिंह ने आगाह करते हुए कहा कि शांति केवल एक दिखावा हो सकता है और ऐसे समय में भी रक्षा क्षमताओं को लगातार मज़बूत किया जाना चाहिए।
“आज जब दुनिया पुनः एक नए शस्त्रीकरण युग की ओर बढ़ रही है, हमें वित्तीय अनुशासन के साथ रक्षा क्षेत्र में रणनीतिक निवेश करना होगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि हमें सिर्फ आत्मनिर्भर भारत की सोच तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि भारत को एक वैश्विक रक्षा निर्यातक के रूप में देखना होगा।