दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं जोरों पर हैं। वर्तमान अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, पार्टी के भीतर नए नेतृत्व के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस दौड़ में निर्मला सीतारमण, मनोहर लाल खट्टर, धर्मेंद्र प्रधान, शिवराज सिंह चौहान और भूपेंद्र यादव जैसे प्रमुख नेताओं के नाम सामने आ रहे हैं। कौन रेस में आगे है, क्यों रेस में आगे है, राष्ट्रीय अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने कौनसी वो कसौठी है, जिस पर खरा उतरना जरूरी है। जानिए…

प्रमुख दावेदार और उनके पक्ष में कारक
1. धर्मेंद्र प्रधान: भाजपा अध्यक्ष की रेस में धर्मेंद्र प्रधान क्यों सबसे प्रबल दावेदार?
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का नाम इस रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। ओडिशा से आने वाले प्रधान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। उनकी संगठनात्मक क्षमता और आदिवासी समुदाय में प्रभावशीलता उन्हें इस पद के लिए मजबूत दावेदार बनाती है।
संघ और संगठन में गहरी पकड़
धर्मेंद्र प्रधान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के करीबी माने जाते हैं। भाजपा नेतृत्व के चुनाव में संघ की भूमिका अहम होती है, और प्रधान का संगठन में लंबा अनुभव उनकी दावेदारी को मजबूत करता है। वह पहले भी पार्टी के संगठनात्मक मामलों में सक्रिय रहे हैं और भाजपा महासचिव के तौर पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके हैं।

पूर्वी भारत से मजबूत प्रतिनिधित्व
भाजपा को आगामी लोकसभा चुनावों में पूर्वी भारत, विशेष रूप से ओडिशा और पश्चिम बंगाल में अपनी स्थिति मजबूत करनी है। ओडिशा से आने वाले धर्मेंद्र प्रधान इस रणनीति के लिए फिट बैठते हैं। भाजपा लंबे समय से इस क्षेत्र में विस्तार की कोशिश कर रही है, और एक ओडिशा मूल के नेता को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाना इस रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के करीबी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ धर्मेंद्र प्रधान के घनिष्ठ संबंध हैं। वे मोदी सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में जिम्मेदारी निभा चुके हैं और हर बार उन्हें अहम मंत्रालय सौंपे गए हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि शीर्ष नेतृत्व उन पर भरोसा करता है।
चुनावी प्रबंधन और संगठन कौशल
प्रधान ने कई महत्वपूर्ण चुनावों में भाजपा के लिए चुनावी प्रबंधन का कार्य किया है। 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश और बिहार में भाजपा की रणनीति बनाने में उनकी भूमिका अहम रही थी। इसके अलावा, उन्होंने कर्नाटक और झारखंड जैसे राज्यों में भी संगठन को मजबूत करने का काम किया है।
युवाओं और ओबीसी वर्ग में प्रभाव
प्रधान ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय से आते हैं, जो भाजपा की बड़ी वोट बैंक रणनीति का हिस्सा है। भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में ओबीसी नेताओं को प्रमुख पदों पर बिठाने की नीति अपनाई है, और इस संदर्भ में प्रधान एक मजबूत चेहरा हो सकते हैं। इसके अलावा, वह युवा मतदाताओं में भी अच्छी पकड़ रखते हैं, क्योंकि वह शिक्षा मंत्रालय संभाल चुके हैं और नई शिक्षा नीति (NEP) जैसी योजनाओं में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
केंद्र और राज्यों में अनुभव
प्रधान को केंद्र सरकार में पेट्रोलियम मंत्री, कौशल विकास मंत्री और शिक्षा मंत्री जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों का नेतृत्व करने का अनुभव है। इससे उनकी प्रशासनिक क्षमता और नीतिगत निर्णय लेने की दक्षता सिद्ध होती है। राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए ऐसे गुण महत्वपूर्ण होते हैं।
विवादों से दूर और साफ छवि
प्रधान की अब तक की राजनीति विवादों से दूर रही है। वे एक शांत और संतुलित नेता माने जाते हैं, जो पार्टी के सभी धड़ों में स्वीकार्य हैं। भाजपा के लिए यह भी एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है।
2. भूपेंद्र यादव:
राजस्थान से आने वाले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की शांत और रणनीतिक शैली उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती है। वह पार्टी के महासचिव के रूप में भी कार्य कर चुके हैं और संगठनात्मक मामलों में उनकी गहरी पकड़ है। पिछले संगठनात्मक चुनावों में भी उनका नाम चर्चा में था, लेकिन अंततः जे.पी. नड्डा को अध्यक्ष चुना गया था।
3. शिवराज सिंह चौहान:
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस दौड़ में शामिल हैं। उनका जमीनी अनुभव, लोकप्रियता और संगठन पर मजबूत पकड़ उन्हें एक प्रमुख दावेदार बनाती है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, उनके कृषि मंत्रालय के कुछ फैसले संघ की विचारधारा से मेल नहीं खाते, जिससे उनकी दावेदारी पर प्रश्नचिह्न लग सकता है।
4. मनोहर लाल खट्टर:
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की पंजाबी जड़ें और संघ से नाता उनके पक्ष में काम कर सकते हैं। उनकी प्रशासनिक क्षमता और संगठनात्मक अनुभव उन्हें इस पद के लिए योग्य बनाते हैं।
5. निर्मला सीतारमण:
वर्तमान में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का नाम भी संभावित उम्मीदवारों में शामिल है। हालांकि, उनकी मुख्य भूमिका वित्त मंत्रालय में होने के कारण, पार्टी संगठन में उनकी सक्रियता अपेक्षाकृत कम रही है, जिससे उनकी दावेदारी कमजोर मानी जा सकती है।
पीएम मोदी और मोहन भागवत की मुलाकात: क्या हुआ निर्णय?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से नागपुर में मुलाकात की है। ऐसी बैठकों में संगठनात्मक मुद्दों पर चर्चा होना सामान्य है, और संभव है कि भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर भी विचार-विमर्श हुआ हो। हालांकि, जब तक आधिकारिक घोषणा नहीं होती, तब तक किसी निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन है। भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में कई कारकों की भूमिका होगी, जैसे संगठनात्मक अनुभव, संघ से संबंध, क्षेत्रीय संतुलन और आगामी चुनावों की रणनीति। धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव जैसे नेता इस दौड़ में आगे नजर आ रहे हैं, लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी नेतृत्व और संघ के परामर्श से लिया जाएगा।
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