वैश्विक कूटनीति के बदलते समीकरणों के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरा इस साल के अंत में होने जा रहा है। यह दौरा भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन 2025 के तहत आयोजित होगा, जो 2021 के बाद पहली बार नई दिल्ली में होने जा रहा है। इस महत्वपूर्ण मुलाकात के दौरान रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी क्षेत्रों में कई बड़े फैसलों की उम्मीद जताई जा रही है।
🔥 अमेरिका-नाटो के विरोध के बावजूद भारत आने को तैयार पुतिन
रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अमेरिका और NATO देश जहां रूस पर सख्त प्रतिबंध लगा रहे हैं, वहीं भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरा ऐसे समय हो रहा है जब पश्चिमी देश भारत पर दबाव बना रहे हैं कि वह रूस से रक्षा और ऊर्जा साझेदारी को सीमित करे। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी प्राथमिकता रणनीतिक संतुलन और राष्ट्रीय हित है।
🛡️ रक्षा और ऊर्जा सहयोग होगा केंद्र में
इस शिखर सम्मेलन में निम्नलिखित अहम मुद्दों पर चर्चा हो सकती है:
- रक्षा उद्योग में गहरे सहयोग को नई दिशा
- ऊर्जा क्षेत्र में रणनीतिक साझेदारी
- परमाणु ऊर्जा में संयुक्त परियोजनाओं पर सहमति
- आर्कटिक क्षेत्र में भारत की भागीदारी का विस्तार
- हाई-टेक सेक्टर में संयुक्त रोडमैप तैयार करना
सूत्रों के अनुसार, रूस और भारत मिलकर दूसरे परमाणु संयंत्र के स्थान को अंतिम रूप दे सकते हैं।
🌾 खाद्य सुरक्षा में रूस की भूमिका
हाल ही में राष्ट्रपति पुतिन ने खुलासा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आग्रह पर रूस ने भारत को उर्वरक निर्यात में बढ़ोतरी की, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिली। इससे दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी और भी गहरी होती दिख रही है।
🇮🇳 भारत की स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम रुख
अमेरिका और नाटो का मानना है कि भारत-रूस सहयोग से G7 और पश्चिमी रणनीति को झटका लग सकता है। खासकर उच्च तकनीक और सैन्य क्षेत्र में सहयोग अमेरिका को असहज करता है। बावजूद इसके, भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों और स्वतंत्र विदेश नीति के आधार पर निर्णय लेता है।
🧨 ऑपरेशन सिंदूर से पहले रूस का भारत को समर्थन
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच आखिरी अहम बातचीत ऑपरेशन सिंदूर से ठीक पहले हुई थी। इस ऑपरेशन में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाया था और रूस ने इस सैन्य कार्रवाई का खुलकर समर्थन किया।
भारत द्वारा इस्तेमाल की गई S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम और भारत-रूस द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम ने पाकिस्तान की क्षमताओं को तगड़ा झटका दिया। ये रक्षा प्रणालियां चीन निर्मित हथियारों के खिलाफ भी प्रभावी साबित हुईं।
🤝 SCO समिट में भी हो सकती है मोदी-पुतिन की मुलाकात
अगर प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने चीन जाते हैं, तो वहां भी उनकी राष्ट्रपति पुतिन से अलग से मुलाकात संभावित है। इससे दोनों देशों के बीच संवाद और मजबूत हो सकता है।
निष्कर्ष
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत दौरा न केवल भारत-रूस संबंधों में एक नई ऊर्जा भरने वाला साबित हो सकता है, बल्कि यह वैश्विक कूटनीतिक परिदृश्य में भी भारत की स्वतंत्र नीति का संदेश देगा। अमेरिका और NATO की आपत्तियों के बावजूद भारत का यह रुख साफ करता है कि वह किसी भी दबाव में आकर अपने रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करेगा।
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