रिपोर्टर: आज़ाद सक्सेना
दंतेवाड़ा जिले की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल तब खड़े हो गए जब कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्राएं अधीक्षिका की शिकायत लेकर कलेक्टर बंगले तक जा पहुंचीं। ये बच्चियां सुबह 7 बजे स्कूल से निकलीं, लेकिन कलेक्टर से मुलाकात नहीं हो सकी। उन्हें डरा-धमका कर वापस स्कूल भेज दिया गया।
जैसे ही घटना की जानकारी जिला पंचायत सदस्य तुलिका कर्मा को हुई, वह तुरंत विद्यालय पहुंचीं। वहां बच्चियां उनकी मौजूदगी में रो पड़ीं और अपनी परेशानियां बताने लगीं।
छात्राओं ने आरोप लगाए कि अधीक्षिका उमा सिन्हा द्वारा उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। खाने में रोज़ एक ही तरह की सब्ज़ी — पत्ता गोभी और लौकी — दी जाती है। स्कूल यूनिफॉर्म और जूते अब तक नहीं दिए गए हैं। जब वे कुछ मांगती हैं या बात करती हैं तो उन्हें गंदी गालियां दी जाती हैं।
बाइट: तुलिका कर्मा, जिला पंचायत सदस्य
“ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने छोटे-छोटे बच्चे अपनी शिकायत लेकर कलेक्टर बंगले तक पहुंचते हैं। विश्वास नहीं होता कि ये वही दंतेवाड़ा है, जहां के बच्चे देशभर में अपनी काबिलियत का लोहा मनवाते हैं।”
छात्राओं ने यह भी बताया कि जब से अधीक्षिका की नियुक्ति हुई है, स्नान के लिए साबुन तक उपलब्ध नहीं कराया गया। स्कूल में होने वाले कार्यक्रमों की व्यवस्था भी छात्राओं को अपनी जेब से चंदा करके करनी पड़ती है। अधीक्षिका न केवल छात्राओं से दुर्व्यवहार करती हैं, बल्कि उनके परिजनों को भी अपमानित करती हैं।
छात्राओं की आपबीती से शिक्षा व्यवस्था की पोल खुलती नजर आ रही है। यह मामला अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बन गया है, और लोगों की मांग है कि जांच कर उचित कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में किसी भी छात्रा को इस तरह की तकलीफों का सामना न करना पड़े।