BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है। राजस्थान से गिरफ्तार किए गए पाकिस्तानी जासूस कासिम से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। कासिम ने कबूल किया है कि उसने लाहौर के आर्मी कैंप में आईएसआई (ISI) से जासूसी की ट्रेनिंग ली, जिसके बाद उसने भारतीय सेना की गतिविधियों की जानकारी पाकिस्तान को भेजी।
मुख्य बिंदु
- लाहौर में आर्मी कैंप में ISI से ली ट्रेनिंग
- भारतीय सेना के स्टेशन और आर्मी मूवमेंट की की जासूसी
- ISI के तीन अफसरों ने दी ट्रेनिंग – कोडनेम ‘शाहजी’, ‘ताऊजी’, और ‘वकास’
- अलवर आर्मी स्टेशन की निगरानी, मूवमेंट की तस्वीरें और समय रिकॉर्ड किया
- 5 साल तिहाड़ जेल में भी रह चुका है कासिम
कैसे हुआ कासिम का ISI से संपर्क?
स्पेशल सेल की जांच में सामने आया है कि कासिम को पाकिस्तान के लाहौर स्थित आर्मी कैंप में तीन आईएसआई अधिकारियों ने जासूसी की खास ट्रेनिंग दी। इन अधिकारियों में दो का कोड नेम ‘शाहजी’ और ‘ताऊजी’ है, जबकि तीसरे की पहचान ‘वकास’ के नाम से हुई है।
इन अफसरों ने कासिम और कुछ अन्य आरोपियों को जासूसी करने, आर्मी मूवमेंट की जानकारी जुटाने, और उसे सुरक्षित चैनलों के ज़रिए भेजने की तकनीकी ट्रेनिंग दी।
भारत में क्या-क्या किया कासिम ने?
- अलवर आर्मी स्टेशन की गतिविधियों पर करीबी निगरानी रखी
- आर्मी वाहनों की तस्वीरें खींचीं
- मूवमेंट की सटीक टाइमिंग और लोकेशन रिकॉर्ड की
- संवेदनशील सूचनाएं ISI को भेजीं
- संदिग्ध ऐप्स और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग का इस्तेमाल
स्पेशल सेल इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या कासिम ने अन्य स्थानों पर भी जासूसी की थी।
स्पेशल सेल की जांच: क्या जानना चाह रही है पुलिस?
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल कासिम से निम्न सवालों के जवाब जानने की कोशिश कर रही है:
- लाहौर ट्रेनिंग की सटीक लोकेशन और टाइमिंग
- ISI से संपर्क के संचार माध्यम – कॉल, कोडेड ऐप्स, सिग्नल्स आदि
- किन-किन गैजेट्स या डिवाइसेज का किया गया इस्तेमाल?
- जासूसी के बदले में मिले पैसों की रकम और माध्यम
- भारत में उसके नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान
कासिम की पृष्ठभूमि और आपराधिक रिकॉर्ड
- कासिम राजस्थान के डीग (भरतपुर) जिले के गांव गंगौरा का रहने वाला है।
- पहले भी तिहाड़ जेल में 5 साल की सजा काट चुका है – अपहरण के मामले में।
- कासिम के घर में CCTV कैमरे, संदिग्ध गतिविधियों के सबूत।
- उसका भाई हसीन, चचेरा भाई मौलाना अफजल, और इश्तियाक – तीनों फरार।
- अफजल गांव में मदरसा निर्माण के लिए फंडिंग जुटा रहा था – अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है।
क्या कासिम अकेला है या नेटवर्क का हिस्सा?
स्पेशल सेल को शक है कि यह एक व्यापक जासूसी रैकेट है। कासिम सिर्फ एक मोहरा हो सकता है, जबकि पीछे पूरा नेटवर्क सक्रिय है।
👉 दो और आरोपी – जिनमें से एक हसीन – अभी भी फरार हैं।
👉 दिल्ली पुलिस की टीमें लगातार रेड्स और ट्रैकिंग ऑपरेशन्स चला रही हैं।
राष्ट्रीय सुरक्षा पर बड़ा खतरा
इस मामले ने भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एक ऐसा शख्स जो तिहाड़ जेल में रह चुका है, वह सीधे दुश्मन देश की सेना से ट्रेनिंग लेकर भारतीय फौज की जानकारी लीक कर रहा था।
अब तक की कार्रवाई और आगे की रणनीति
- कासिम को दिल्ली लाकर स्पेशल इंटरोगेशन किया जा रहा है
- उसके डिजिटल डिवाइस और सोशल मीडिया प्रोफाइल की डिजिटल फोरेंसिक जांच जारी है
- पूरे नेटवर्क का ब्योरा इकट्ठा किया जा रहा है ताकि जड़ से सफाया किया जा सके
चौकन्ना भारत, चौकस एजेंसियां
कासिम का मामला सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि एक जागरूकता का संकेत है कि दुश्मन देश किस तरह भारत के भीतर खुफिया नेटवर्क फैलाने की कोशिश कर रहा है।
भारत की सुरक्षा एजेंसियों का समय पर हस्तक्षेप और दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की सटीक कार्रवाई ने एक बड़े खतरे को टाल दिया है। लेकिन सवाल ये है – क्या ऐसे नेटवर्क पहले से भी सक्रिय हैं?