BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने गुरुवार को सीआईआई (CII) बिजनेस समिट में एक उत्साही भाषण दिया, जिसमें उन्होंने देश की रक्षा क्षमताओं, भविष्य की जरूरतों और रक्षा क्षेत्र में निजी उद्योग की भूमिका पर गहराई से चर्चा की। भाषण के दौरान उन्होंने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के एक प्रसिद्ध डायलॉग को引用 करते हुए हल्के-फुल्के अंदाज में कहा, “एक बार जो मैंने कमिट कर दिया, फिर मैं अपने आप की भी नहीं सुनता।”
ऑपरेशन ‘सिंदूर’ ने बदल दिया सोचने का नजरिया
अपने संबोधन में एयर चीफ मार्शल ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रणनीतिक सोच और युद्ध की बदलती प्रकृति को समझने में मदद की है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि हम अपने रणनीतिक दृष्टिकोण को पुनर्गठित करें और आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक संगठित रूप से तैयार हों।
उन्होंने स्पष्ट किया, “हमने जो भी वादा किया है, उसे निभाना हमारा दायित्व है। हम केवल बातों से नहीं, कर्म से दिखाएंगे कि हम कितने प्रतिबद्ध हैं।”
‘Whole of Nation’ बनाम युद्ध की तैयारी
एयर चीफ मार्शल सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में कहा कि भारत की सेनाएं आज ‘Whole of Nation’ अप्रोच को अपनाकर न केवल लड़ाई जीत रही हैं, बल्कि देश को रणनीतिक रूप से मजबूत भी बना रही हैं। उन्होंने कहा,
“प्राण जाए पर वचन न जाए — यही हमारी मूल भावना है।”
उन्होंने इस बात पर बल दिया कि रक्षा क्षेत्र में केवल सरकार की नहीं, बल्कि देशभर के उद्योग, तकनीकी संस्थानों और समाज की सक्रिय भागीदारी जरूरी है। केवल मिलकर ही हम अपनी सेनाओं को आत्मनिर्भर और अत्याधुनिक बना सकते हैं।
रक्षा तकनीक और निजी उद्योग की भागीदारी
एयर चीफ मार्शल ने अपने भाषण में बताया कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों के निर्माण की बात नहीं कर रहा, बल्कि देश के भीतर ही डिज़ाइन और डेवलपमेंट पर भी जोर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एएमसीए (उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान) के निर्माण में अब निजी कंपनियों को भी भागीदार बनाया गया है।
उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले वर्षों में भारत का निजी क्षेत्र न केवल निर्माण बल्कि रक्षा नवाचार का नेतृत्व करेगा।
वायुसेना की अनिवार्यता और भविष्य की रणनीति
उन्होंने दो टूक कहा, “किसी भी सैन्य अभियान को वायुसेना के बिना अंजाम देना संभव नहीं है। चाहे थल सेना हो या जल सेना — वायुसेना हर योजना की रीढ़ रहेगी।”
इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि हमें अब बड़ी सोच के साथ आगे बढ़ना होगा — केवल निर्माण नहीं, डिज़ाइनिंग, रिसर्च, इनोवेशन और स्केलेबल प्रोडक्शन के स्तर पर आत्मनिर्भरता हासिल करनी होगी।