एक मिशन जिसने दुनिया को हिला दिया
2009 में, ब्रिटिश अखबार The Times में एक लीक डॉक्यूमेंट ने पूरी दुनिया को चौंका दिया। यह ईरानी सरकार की एक सीक्रेट रिपोर्ट थी, जिसका शीर्षक था “Field for the Expansion of Deployment of Advanced Technology”। इसमें खुलासा हुआ कि ईरान गुप्त रूप से एक न्यूक्लियर वेपन प्रोग्राम पर काम कर रहा था।
इस खुलासे ने अमेरिका और इज़राइल को सकते में डाल दिया। दोनों देशों के लिए यह स्पष्ट हो गया कि ईरान का यह प्रोग्राम वैश्विक सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है। इसी मिशन को रोकने के लिए इज़राइली खुफिया एजेंसी मोसाद (Mossad) ने इतिहास के सबसे हाई-टेक और साहसी ऑपरेशनों में से एक को अंजाम दिया।
मोहसेन फखरीजादे की हत्या: AI और सैटेलाइट से हुआ ऑपरेशन
ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम के मास्टरमाइंड मोहसेन फखरीजादे को 1993 से 2003 तक एक बड़े सीक्रेट न्यूक्लियर मिशन का नेतृत्व करते हुए जाना जाता था। 2020 में, महामारी के बीच मोसाद ने इस मिशन को खत्म करने की योजना बनाई।
ऑपरेशन की मुख्य बातें:
- 8 महीने तक सर्विलांस: मोहसेन की गतिविधियों पर लगातार निगरानी।
- Nissan पिकअप ट्रक में AI मशीन गन: सैटेलाइट से नियंत्रित FN MAG गन।
- 1000 मील दूर से ऑपरेशन: इज़राइल से ही गोलीबारी, 13 सटीक शॉट्स।
- कोई साइड क़ॉलेजुअलिटी नहीं: मोहसेन की पत्नी सिर्फ 10 इंच की दूरी पर थीं, लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं हुआ।
- साक्ष्य मिटा दिए गए: जैसे ही सुरक्षा टीम मौके पर पहुंची, ट्रक विस्फोट से उड़ा दिया गया।
इस एक ऑपरेशन से ईरान का न्यूक्लियर मिशन कम से कम 6 साल पीछे चला गया।
मोसाद की शुरुआत: मिलिटेंट ग्रुप से वर्ल्ड क्लास एजेंसी तक
1930 का बैकड्रॉप:
- हिटलर के समय में यहूदी विरोध चरम पर था।
- ज़ायोनिस्ट यहूदी समुदाय अपने राष्ट्र और सुरक्षा के लिए आवाज़ उठा रहा था।
- हगाना (Haganah) नाम की मिलिट्री ऑर्गेनाइज़ेशन बनी — यही आगे चलकर मोसाद बनी।
1951 में आधिकारिक रूप से मोसाद की स्थापना हुई, और इसके बाद इज़राइल की सुरक्षा के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू हुआ।
1967 की सिक्स डे वॉर: एक जासूसी चमत्कार
जब अरब देशों — मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, इराक — ने मिलकर इज़राइल पर युद्ध छेड़ा, तब मोसाद ने पहले से ही सबकुछ प्लान कर रखा था।
- इज़राइली पायलट्स को दुश्मन एयरबेस की सटीक जानकारी थी।
- एक एजेंट ने मिस्र की पूरी सेना को भटकाकर सीधे कैदखाने पहुंचा दिया — बिना एक भी गोली चले।
इस रणनीतिक युद्ध के चलते इज़राइल ने सिर्फ 6 दिन में पूरी अरब सेना को हरा दिया।
मोसाद के आइकोनिक मिशन
1. एडोल्फ आइकमैन की किडनैपिंग (1960)
- होलोकॉस्ट का मास्टरमाइंड आइकमैन अर्जेंटीना में छिपा था।
- मोसाद एजेंट्स ने उसे गुप्त तरीके से किडनैप कर इज़राइल लाकर ट्रायल करवाया।
- अर्जेंटीना सरकार को भनक तक नहीं लगी।
2. म्यूनिख ओलंपिक बदला (1972)
- 11 इज़राइली खिलाड़ी मारे गए।
- मोसाद ने पलटवार में दुनिया भर में कातिलों को ढूंढकर एक-एक कर मारा।
- हर किलर को निर्दोष खिलाड़ियों के नाम पर सजा दी गई।
3. ऑपरेशन डायमंड (1966)
- सोवियत यूनियन के एडवांस MiG-21 जेट को चुराने का मिशन।
- मोसाद ने एक पायलट को हनी ट्रैप में फंसाया और विमान को इज़राइली एयरबेस पर उतरवाया।
मोसाद और अमेरिका: एक असाधारण साझेदारी
2003: इराक पर हमला
- अमेरिका ने मोसाद से सहायता ली ताकि रोडसाइड बम और आत्मघाती हमलों से निपटा जा सके।
- इज़राइल में अमेरिकी सोल्जर्स को स्पेशल ट्रेनिंग, अर्बन वॉरफेयर और काउंटर-इंसर्जेंसी पर प्रशिक्षण मिला।
2020: कासिम सुलेमानी का एनकाउंटर
- ईरान के टॉप जनरल की बगदाद में हत्या।
- ट्रैकिंग की पूरी जिम्मेदारी मोसाद ने ली थी।
- अमेरिकी ड्रोन से अटैक, लेकिन इंटेलिजेंस और कोऑर्डिनेशन इज़राइली था।
भारत और मोसाद: बढ़ती निकटता
- मोसाद ने पाकिस्तानी न्यूक्लियर प्लान की जानकारी भारत को दी थी।
- 2015 में PM मोदी के तुर्की दौरे के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी मोसाद के पास थी।
- आज भारत इज़राइल जैसे छोटे देश से सुरक्षा, इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्रों में सीख रहा है।
निष्कर्ष: क्यों मोसाद है दुनिया की सबसे घातक एजेंसी
- मोसाद ने यह साबित कर दिया है कि आकार से नहीं, साहस, प्लानिंग और इंटेलिजेंस से ताकत का आंकलन होता है।
- चाहे अमेरिका, ब्रिटेन, या भारत — सभी देश मोसाद की ताकत को स्वीकारते हैं।
- एक बार अगर किसी का नाम मोसाद की हिट लिस्ट में आ गया, तो बचना नामुमकिन है।
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SwadeshLive.com — रिपोर्ट्स जो फर्क लाती हैं।