BY: MOHIT JAIN
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चौसठ योगिनी मंदिर: एक अद्भुत विरासतक्या है चौसठ योगिनी मंदिर की खासियत?तांत्रिकों की प्राचीन यूनिवर्सिटीअद्भुत वास्तुकला: गोलाकार उड़न तश्तरी जैसा मंदिरशिव और योगिनी की आराधना का केंद्रमंदिर से जुड़ी रहस्यमयी मान्यताएंUNESCO की अस्थायी सूची में कैसे पहुंचा मंदिर?भारत की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भारतीय स्थापत्य कला, तांत्रिक परंपराओं और खगोलीय ज्ञान का अद्भुत संगम है। हाल ही में इसे यूनेस्को की अस्थायी विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है—एक ऐसा सम्मान जो इस रहस्यमयी मंदिर को वैश्विक मान्यता की ओर ले जाता है।
चौसठ योगिनी मंदिर: एक अद्भुत विरासत

- यह मंदिर 1323 ई. में कच्छपघात वंश के राजा देवपाल द्वारा बनवाया गया।
- इसकी भव्यता और रहस्यमय परंपराएं इसे इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनाती हैं।
- मंदिर से आसपास के खेत, जंगल और नर्मदा नदी का दृश्य इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए भी खास बनाता है।
क्या है चौसठ योगिनी मंदिर की खासियत?
तांत्रिकों की प्राचीन यूनिवर्सिटी

- चौसठ योगिनी मंदिर को “तांत्रिकों की यूनिवर्सिटी” कहा जाता है।
- प्राचीन काल में यहां दुनिया भर से साधक तंत्र-मंत्र सीखने आते थे।
- यह स्थान खगोल, ज्योतिष और गणित की शिक्षा का केंद्र माना जाता था।
अद्भुत वास्तुकला: गोलाकार उड़न तश्तरी जैसा मंदिर

- मंदिर एक ऊँची पहाड़ी पर लगभग 100 फीट की ऊँचाई पर स्थित है।
- इसकी बनावट पूरी तरह से गोलाकार है, जिससे यह किसी उड़न तश्तरी की तरह दिखाई देता है।
- मंदिर में कुल 64 कमरे हैं और हर कमरे में एक शिवलिंग और योगिनी देवी की मूर्ति स्थापित थी।
माना जाता है कि ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने इसी मंदिर से प्रेरणा लेकर भारतीय संसद भवन का प्रारूप तैयार किया था, हालांकि इसका कोई प्रमाण मौजूद नहीं है।
शिव और योगिनी की आराधना का केंद्र

- मंदिर के केंद्र में स्थित है एक विशाल मंडप, जिसमें एक प्रमुख शिवलिंग स्थापित है।
- यहां की 64 योगिनियों को शक्ति की अलग-अलग स्वरूपों में पूजा जाता है।
- ये योगिनियां तंत्र साधना में सक्रिय ऊर्जा का प्रतीक मानी जाती हैं।
मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी मान्यताएं

- कहा जाता है कि यह मंदिर आज भी तंत्र साधना की शक्तियों से घिरा है।
- स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, रात में यहां रुकने की अनुमति नहीं है।
- मान्यता है कि मां काली ने योगिनी रूप धारण कर घोर राक्षस का वध किया था।
UNESCO की अस्थायी सूची में कैसे पहुंचा मंदिर?
- भारत सरकार ने चौसठ योगिनी मंदिर को UNESCO की Tentative List में शामिल किया।
- यह सूची पहला कदम है किसी स्थल को World Heritage Site बनाने की दिशा में।
- इसके तहत यूनेस्को एक साल तक स्थल का मूल्यांकन करता है कि वह “Outstanding Universal Value” रखता है या नहीं।
भारत की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक
चौसठ योगिनी मंदिर सिर्फ एक प्राचीन मंदिर नहीं, बल्कि यह भारत के धार्मिक, खगोलीय और वास्तुशिल्पीय इतिहास का जीवंत उदाहरण है। यूनेस्को की अस्थायी सूची में इसका शामिल होना, इसकी वैश्विक मान्यता और संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।