नर्मदा बचाओ आंदोलन की प्रमुख नेत्री मेधा पाटेकर मंगलवार को ग्वालियर पहुंचीं। वह यहां सेंचुरी मिल बनाम श्रमिक जनता संघ केस की सुनवाई में शामिल होने आई थीं। हालांकि, राजस्व न्यायालय की डबल बेंच के एक जज शहर से बाहर होने के कारण सुनवाई आगे बढ़ गई।
मामला क्या है?
यह विवाद स्टाम्प ड्यूटी चोरी और मिल के गलत तरीके से विक्रय से जुड़ा हुआ है।
- ग्वालियर रेवेन्यू कोर्ट में यह सुनवाई हो रही है।
- मामला खरगोन की सेंचुरी मिल से संबंधित है।
- एक ही परिसर में दो मिलें संचालित थीं—सेंचुरी मिल और कॉटन मिल।
- मालिक ने श्रमिकों को निकालने के लिए स्टाम्प पर कम दामों में एक कंपनी को खरीद लिया।
- इसी पर स्टाम्प ड्यूटी चोरी का केस दर्ज हुआ।
- हाईकोर्ट ने इस मामले को राजस्व न्यायालय के क्षेत्राधिकार में मानते हुए ग्वालियर में सुनवाई का आदेश दिया।
राजस्व न्यायालय में अगली सुनवाई की तारीख एक दिन पहले ही तय होती है। इसलिए अगली तारीख अभी घोषित नहीं हुई है।
स्वर्णरेखा नदी का निरीक्षण
ग्वालियर पहुंचने के बाद मेधा पाटेकर ने स्वर्णरेखा नदी का भी निरीक्षण किया।
उनके साथ जनहित याचिका दायर करने वाले एडवोकेट विश्वजीत रतोनिया मौजूद रहे।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने देखा कि:
- एलिवेटेड रोड निर्माण के कारण बड़ी मात्रा में मिट्टी जमा हो गई है।
- सीवेज का गंदा पानी नदी में बह रहा है।
मेधा पाटेकर ने कहा कि विकास के नाम पर नदियों का विनाश क्षेत्र और देश के भविष्य के लिए गंभीर खतरा है।
कोर्ट के आदेशों के बावजूद कार्रवाई नहीं
पाटेकर ने बताया कि स्वर्णरेखा नदी को पुराने स्वरूप में लौटाने के लिए हाईकोर्ट पहले ही कई निर्देश जारी कर चुका है।
लेकिन, अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए।
महापुरुषों के विचारों को समझना भी जरूरी
ग्वालियर हाई कोर्ट परिसर में अंबेडकर प्रतिमा मामले को लेकर पाटेकर ने कहा:
- महापुरुषों की मूर्तियां स्थापित करना अच्छी बात है।
- लेकिन उनके विचारों को समझना और अपनाना और भी महत्वपूर्ण है।
- उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान का असली निर्माण सर बी. एन. राव ने किया यह कहना गलत है।
- “मैं खुद BN राव को नहीं जानती,” उन्होंने कहा।
मेधा पाटेकर का यह दौरा ग्वालियर की राजनीति और सामाजिक माहौल के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां एक ओर वह सेंचुरी मिल विवाद में श्रमिकों के पक्ष में खड़ी हैं, वहीं दूसरी ओर उन्होंने नदी संरक्षण और संवैधानिक मूल्यों पर भी गहरी चिंता व्यक्त की।