concept: rp shrivastava, by: vijay nandan
दुनिया का “सबसे बड़ा लोकतंत्र” कहलाने वाला भारत और दुनिया का “सबसे ताकतवर लोकतंत्र” होने का दावा करने वाला अमेरिका पर विडंबना देखिए, ताकतवर लोकतंत्र अपनी चमक बचाने के लिए दूसरे लोकतंत्र पर धूल झाड़ने में लगा है। आर्थिक मोर्चे से लेकर रणनीतिक और सामाजिक मोर्चे तक, अमेरिका की चिंताएँ बढ़ रही हैं, और इन्हीं चिंताओं के बीच उसकी कुछ संस्थाएँ भारत पर उंगलियाँ उठाकर खुद की गिरती साख संभालने की कोशिश कर रही हैं। ताज़ा मामला है USCC और USCIRF की दो नई रिपोर्ट्स का है, जो कहने को तो विश्लेषण हैं, लेकिन पढ़ते ही साफ़ लगता है कि इसमें तथ्य कम और एजेंडा ज़्यादा लिखा गया है। भारत की सैन्य ताकत पर सवाल, कूटनीति को कमजोर बताने की कोशिश और धार्मिक स्वतंत्रता पर पुरानी रटी हुई झूठी कहानी। सब एक ही पैटर्न दोहराते हुए अमेरिका का वही पुराना खेल, खुद को ऊँचा दिखाने के लिए भारत को नीचा दिखाओ। लेकिन सवाल बड़ा है, क्या सचमुच भारत कमजोर हो रहा है? या फिर एक उभरती वैश्विक शक्ति से घबरा रहा है अमेरिका ?
दरअसल अमेरिका की दो अहम संस्थाओं, यूएस-चाइना इकोनॉमिक एंड सिक्योरिटी रिव्यू कमीशन (USCC) और यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (USCIRF) ने एक बार फिर भारत को लेकर विवादित और भ्रामक रिपोर्टें जारी की हैं। इन दोनों रिपोर्टों में भारत की सैन्य क्षमता, कूटनीति और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर कई दावे किए गए हैं, जिन्हें भारत पहले भी पूर्वाग्रह से प्रेरित बताता रहा है।
USCC की रिपोर्ट: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान की जीत बताया
USCC की 800 पन्नों की रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2025 में हुए भारत-पाकिस्तान के चार दिन के सैन्य संघर्ष (ऑपरेशन सिंदूर) में पाकिस्तान को “रणनीतिक सफलता” मिली थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने चीन के हथियारों HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम, PL-15 मिसाइलें, J-10 फाइटर जेट का इस्तेमाल किया है।
उधर अमेरिका ने इस रिपोर्ट के माध्यम से चीन पर निशाना साधा है, रिपोर्ट में कहा गया कि चीन ने युद्ध का इस्तेमाल अपने हथियारों की मार्केटिंग के लिए किया। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने फ्रांस के राफेल फाइटर जेट की बिक्री रोकने और अपने J-35 लड़ाकू विमानों के प्रचार के लिए फर्जी सोशल मीडिया अकाउंट्स चलाए। सोशल मीडिया पर AI तस्वीरों के जरिए राफेल जेट गिराने के “फर्जी दावे” फैलाए गए। कुछ दावों में 6 भारतीय लड़ाकू विमान गिराने की बात की गई, पाकिस्तान ने इसमें 3 राफेल विमानों को मार गिराने का दावा किया था. लेकिन भारत पहले दिन से ऐसे दावों को निराधार बताता रहा है, भारत ने कहा है कि यह रिपोर्ट चीन-पाकिस्तान नैरेटिव को आगे बढ़ाती है।

USCIRF की रिपोर्ट: धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर भारत को बदनाम करने की साजिश
USCC के पहले USCIRF की वार्षिक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें भारत पर धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर पुराने आरोप दोहराए गए हैं। 2024 में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति बिगड़ने का दावा किया गया है।
- राम मंदिर और बाबरी विध्वंस को जोड़कर विवादित प्रस्तुति दी
- RSS को राजनीतिक-धार्मिक एजेंडा चलाने का आरोप
- 12 राज्यों द्वारा धर्मांतरण-विरोधी कानून सख्त करने का जिक्र
- प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के बयानों को “भड़काऊ” बताया
भारत ने पहले भी USCIRF की रिपोर्टों को “तथ्यहीन, एजेंडा-प्रेरित, और भारत के बहुलतावादी ढाँचे को न समझने वाली” बताया है। भारत पहले से कहता आया है कि अमेरिकी संस्थाएँ भारत की वास्तविकता समझने में असफल है। विदेश मंत्रालय पहले ही साफ कर चुका है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जहाँ सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्वक रहते हैं। USCIRF और USCC दोनों अपनी रिपोर्टों में चुने हुए तथ्यों, पुराने आरोपों, और राजनीतिक पूर्वाग्रहों के आधार पर निष्कर्ष निकालते हैं। भारत की छवि खराब करने के हर प्रयास का जवाब तथ्यों के आधार पर दिया जाएगा। भारत की कूटनीति, सैन्य क्षमता और सामाजिक ढांचा ऐसे आरोपों से प्रभावित नहीं होता।

अमेरिकी रिपोर्टें, डेटा कम, नैरेटिव ज़्यादा
USCC और USCIRF की नई रिपोर्टों ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अमेरिकी संस्थाएँ भारत को “वास्तविकता” के बजाय “पूर्वाग्रह” के आधार पर आंक रही हैं? दोनों रिपोर्टें अपने-अपने एजेंडों को आगे बढ़ाती दिखाई देती हैं, एक भारत की सैन्य विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करती है, तो दूसरी भारत की धार्मिक-सामाजिक संरचना को निशाने पर लेती है। भारत ने लगातार कहा है कि ऐसी रिपोर्टों का उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र और कूटनीति को कमजोर करना है।
विदेश मंत्रालय ने साफ कहा है कि..
USCIRF की रिपोर्टें तथ्यहीन, पक्षपातपूर्ण और भारत की वास्तविकता को न समझने वाली हैं। अमेरिका की यह संस्था “बार-बार वही पुराने आरोप दोहराती है” जो भारत के लोकतांत्रिक ढाँचे को गलत तरीके से पेश करते हैं। भारत दुनिया के 1.4 अरब लोगों का बहुलतावादी देश है, यहां सभी धर्मों के लोग शांतिपूर्वक रहते हैं। मंत्रालय ने कहा था कि USCIRF जैसी संस्था खुद चिंता का विषय है, क्योंकि यह भारत को समझने में असफल रहती है।
विदेश मंत्रालय का पुराना आधिकारिक बयान
USCIRF को भारत के बहुलतावादी समाज और धार्मिक सौहार्द की वास्तविकता का ज्ञान नहीं है। यह एजेंडा से प्रेरित आरोप लगाता है। ऐसी रिपोर्टें भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और सहिष्णुता को बदनाम करने की कोशिश हैं। भारत किसी बाहरी रिपोर्ट के आधार पर अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का आकलन नहीं करता। ऐसी रिपोर्टें अक्सर अधूरी जानकारी, अफवाहों और भू-राजनीतिक एजेंडा पर आधारित होती हैं। भारत ने कहा कि हमारी सैन्य क्षमताओं को कमतर दिखाने का हर प्रयास विफल होगा। भारत की विदेश नीति और सुरक्षा नीति तथ्यों पर आधारित है, किसी थर्ड-पार्टी रिपोर्ट पर नहीं। MEA का मूल संदेश कमजोर नहीं बल्कि अत्यंत स्पष्ट होता है। “भारत अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और हितों पर किसी भी बाहरी टिप्पणी को खारिज करता है। ऐसी रिपोर्टें भारत के कूटनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण को प्रभावित नहीं कर सकतीं।
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