मध्य प्रदेश के महूँ की फास्ट-ट्रैक कोर्ट ने सोमवार को एक बड़ा फैसला सुनाया। इस मामले में पांच दोषियों को उनके जघन्य अपराध की सजा के तौर पर उम्रकैद की सजा दी गई है। ये घटना पिछले साल सितंबर में हुई थी, जब एक ट्रेनी सेना अधिकारी और उनकी महिला मित्र के साथ क्रूरता हुई थी।
क्या थी पूरी घटना?
ये दिल दहला देने वाली वारदात 10 सितंबर 2024 की रात को शुरू हुई। दो ट्रेनी सेना अधिकारी और उनकी दो महिला मित्र महूँ के जाम गेट के पास आर्मी फायरिंग रेंज में थोड़ा सुकून तलाशने गए थे। रात करीब 2 बजे का वक्त था, जब अचानक 7-8 लोगों का एक गैंग वहां पहुंचा। ये लोग लाठी-डंडों और हथियारों से लैस थे।
- हमला और लूटपाट: इन गुंडों ने पहले अधिकारियों पर हमला किया और उन्हें बुरी तरह पीटा।
- 10 लाख की फिरौती: हमलावरों ने एक अधिकारी से पूछताछ की तो उल्टा उनसे 10 लाख रुपये की मांग की, वरना जान से मारने की धमकी दी।
- अलग-अलग कर दी गई जोड़ी: गैंग ने ग्रुप को दो हिस्सों में बांट दिया। एक अधिकारी और एक महिला को बंधक बनाया, बाकी दो को फिरौती लाने भेजा।
जब फिरौती लेकर कोई वापस नहीं आया, तो इन दरिंदों ने अपनी हवस दिखाई। महिला मित्र के साथ गैंगरेप की वारदात को अंजाम दिया और फिर अंधेरे में फरार हो गए। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया और लोगों में गुस्सा भड़क उठा।
पुलिस की तेज कार्रवाई
बडगोंदा पुलिस ने फौरन हरकत में आते हुए दो आरोपियों को दबोच लिया। बाद में बाकी को भी पकड़ लिया गया। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने इसे फास्ट-ट्रैक कोर्ट में भेजा।
- चार्जशीट: 12 अक्टूबर को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की।
- सबूतों का पहाड़: DNA रिपोर्ट, कपड़ों पर खून के निशान, बालों के सैंपल और हथियारों ने दोषियों को बेनकाब कर दिया।
- खोया आधार कार्ड: पीड़िता का आधार कार्ड चोरी हो गया था, जो नहीं मिला। इसके लिए धारा 238 लगाई गई।
कोर्ट में क्या हुआ?
कोर्ट में 30 से ज्यादा गवाहों ने अपनी बात रखी। हालांकि कोई चश्मदीद गवाह या CCTV फुटेज नहीं था, लेकिन DNA रिपोर्ट ने सारी कहानी बयां कर दी।
- दोषी कौन?:
- अनिल बारोर (27) – मुख्य आरोपी
- पवन बंसुनिया (23)
- रितेश भाभर (25)
- रोहित गिरवाल (23)
- सचिन मकवाना (25)
- इन पांचों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
- एक नाबालिग आरोपी का केस अभी जुवेनाइल कोर्ट में चल रहा है।
इंसाफ का दिन
6 महीने बाद आखिरकार पीड़ितों को इंसाफ मिला। कोर्ट के इस फैसले से साफ है कि अपराध करने वालों को अब बख्शा नहीं जाएगा। DNA सबूतों और पुलिस की मेहनत ने दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया।
- हथियार बरामद: रितेश के पास से एक देसी पिस्तौल और जिंदा कारतूस भी मिले।
समाज में संदेश
ये फैसला न सिर्फ पीड़ितों के लिए राहत है, बल्कि समाज को भी एक संदेश देता है कि कानून की नजर से कोई नहीं बच सकता। लोग अब उम्मीद कर रहे हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और महिलाएं सुरक्षित रहें।
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