मध्य प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार को लेकर अब सख्त हो रही है। खासकर राजस्व विभाग में लंबे समय से चली आ रही शिकायतों के मद्देनजर, अब पटवारी और राजस्व निरीक्षकों (RI) के तबादलों की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। इस कदम का मकसद विभाग में पारदर्शिता बढ़ाना और पक्षपातपूर्ण नियुक्तियों को रोकना है। आइए जानें इस महत्वपूर्ण फैसले के पीछे की पूरी कहानी और इसका असर।
मध्य प्रदेश राजस्व विभाग में बड़े बदलाव का ऐलान
राजस्व विभाग के सबसे निचले स्तर के कर्मचारियों — पटवारी और राजस्व निरीक्षक — के तबादले की प्रक्रिया को औपचारिक रूप से शुरू किया गया है। इसके तहत लगभग 12 हजार पटवारियों और राजस्व निरीक्षकों को उनके गृह तहसील या गृह अनुविभाग से हटाकर अन्य स्थानों पर भेजा जाएगा।
राजस्व विभाग ने सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए हैं कि वे ऐसे कर्मचारियों की सूची बनाएं जो अपने गृह स्थानों पर तैनात हैं और उन्हें तत्काल स्थानांतरित करें।
भ्रष्टाचार की शिकायतों से उठी आवाज़
राजस्व विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लंबे समय से लगे हुए हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि पटवारी और राजस्व निरीक्षक अपने ही गृह तहसील या गृह अनुविभाग में रहते हुए तैनात रहते हैं। इससे:
- पक्षपात की स्थिति बनती है
- कार्य व्यवस्था प्रभावित होती है
- रिश्वतखोरी जैसे मामलों में बढ़ोतरी होती है
कलेक्टरों को स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि वे इस स्थिति को सुधारें और ऐसे कर्मचारियों की पहचान कर उनकी त्वरित स्थानांतरण प्रक्रिया शुरू करें।
मध्य प्रदेश में पटवारियों की तैनाती की स्थिति
- प्रदेश में कुल पटवारियों की संख्या लगभग 25 हजार है।
- इनमें से 50 प्रतिशत यानी करीब 12 हजार पटवारी अपने गृह तहसील में तैनात हैं।
- यही पटवारी अपने प्रभाव के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
- कई पटवारियों को लोकायुक्त सहित अन्य संगठन रिश्वत लेते हुए पकड़ भी चुके हैं।
इसलिए सरकार ने बड़ा फैसला लेकर उन्हें उनके गृह स्थान से हटाने का निर्देश दिया है ताकि निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो सके।
इस कदम का क्या होगा असर?
यह तबादला प्रक्रिया कई मायनों में राज्य के राजस्व विभाग के कामकाज में सुधार ला सकती है:
- भ्रष्टाचार और पक्षपात पर लगाम
- कार्य प्रणाली में पारदर्शिता का विकास
- आम जनता को बेहतर और निष्पक्ष सेवा
मध्य प्रदेश सरकार का यह कदम भ्रष्टाचार विरोधी माहौल को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश सरकार का पटवारी और राजस्व निरीक्षकों के तबादलों का यह अभियान विभाग में चल रहे भ्रष्टाचार को रोकने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है। अब देखना यह होगा कि इस निर्णय का अमलीजामा कितना सफल होता है और यह प्रदेश के राजस्व विभाग की छवि को सुधारने में कितना मददगार साबित होता है।