नवरात्रि के छठे दिन मां दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा की जाती है। यह दिन भक्तों के लिए बहुत खास होता है। माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है।
मां कात्यायनी कौन हैं?
मां कात्यायनी दुर्गा का छठा स्वरूप हैं। इनका नाम महर्षि कात्यायन के नाम पर पड़ा। पुराणों के अनुसार, महर्षि ने कठोर तपस्या कर मां को प्रसन्न किया था। मां ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया।
मां का स्वरूप
- चार भुजाओं वाली
- हाथों में तलवार, कमल, अभय और वरद मुद्रा
- सिंह पर सवार
- लाल रंग से जुड़ाव
पूजा का तरीका
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें
- साफ कपड़े पहनें
- पूजा स्थल को फूलों से सजाएं
- लाल चुनरी चढ़ाएं
- मिठाई का भोग लगाएं
- धूप-दीप जलाएं
मंत्र जाप
इन मंत्रों का जाप करना फलदायी माना जाता है:
- “ॐ देवी कात्यायन्यै नमः”
- “चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना…”
क्या करें इस दिन
- फलाहार करें
- मां को लाल फूल अर्पित करें
- गरीबों को भोजन दान दें
- नकारात्मक विचारों से दूर रहें

क्या न करें
- मांस-मदिरा से दूर रहें
- झूठ न बोलें
- किसी को दुख न दें
कथा संक्षेप
महिषासुर नामक राक्षस के अत्याचार से परेशान देवताओं ने मां से प्रार्थना की। मां कात्यायनी ने नौ दिनों तक युद्ध कर महिषासुर का वध किया। इसीलिए इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहते हैं।
विशेष फल
- शत्रुओं पर विजय
- विवाह में आ रुकावटें दूर
- मानसिक शांति
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति
ध्यान रखें:
यह पूजा सच्ची श्रद्धा से करें। बिना विश्वास के कोई भी उपाय काम नहीं करता। मां की कृपा पाने के लिए अच्छे कर्म भी जरूरी हैं।
अन्य जानकारी:
- इस दिन लाल रंग के कपड़े पहनना शुभ
- कन्याओं को भोजन कराना पुण्यदायी
- ‘या देवी सर्वभूतेषु…’ मंत्र का जाप करें
नवरात्रि के इस पावन अवसर पर मां कात्यायनी सभी की मनोकामनाएं पूरी करें!