भारत में कारोबारी परिवारों के बीच संपत्ति और व्यवसाय को लेकर विवाद आम होते जा रहे हैं। कल्याणी, मोदी और हिंदुजा परिवारों के बाद अब लोधा परिवार का नाम भी इसी सूची में जुड़ गया है। रियल एस्टेट क्षेत्र में प्रतिष्ठित लोधा समूह के दो भाई अभिषेक लोधा और अभिनंदन लोधा के बीच चल रहा विवाद अब परिवार के लिए चिंता का विषय बन चुका है।
इस बढ़ते विवाद को देखते हुए, उनकी मां मंजू लोधा ने दोनों बेटों को एक भावनात्मक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने उनसे आपसी झगड़ा खत्म करने और पारिवारिक एकता बनाए रखने की अपील की है।
मां ने दी बेटों को सख्त हिदायत
मंजू लोधा ने अपने पत्र में लिखा:
“मैं आप दोनों से अनुरोध करती हूँ कि अपने सभी विवाद तुरंत समाप्त करें। एक माँ होने के नाते, मैं आपको आदेश देती हूँ।आप दोनों एक-दूसरे के बारे में कोई गलत बात नहीं कहेंगे। आप आपस में नहीं लड़ेंगे। आपमें से किसी को भी दूसरे के व्यवसाय या शेयरहोल्डिंग पर कोई अधिकार नहीं होगा। न तो कोई किसी से कुछ मांगेगा और न ही कोई किसी को कुछ देगा। आप दोनों एक-दूसरे के व्यवसाय में किसी भी रूप में हस्तक्षेप नहीं करेंगे। अपने सारे विवाद खत्म करिए, एक-दूसरे का सम्मान करिए और एक-दूसरे की मदद करने की कोशिश करिए।”
ब्रांड ‘लोधा’ के नाम पर विवाद
यह पत्र ऐसे समय में सामने आया है जब दोनों भाई 5000 करोड़ रुपये के ट्रेडमार्क विवाद में उलझे हुए हैं। अभिषेक लोधा की कंपनी “मैक्रोटेक डेवलपर्स” ने अभिनंदन लोधा की कंपनी “हाउस ऑफ अभिनंदन लोधा (HoABL)” के खिलाफ बॉम्बे हाई कोर्ट में मामला दायर किया है।
अभिषेक का दावा है कि “लोधा” नाम केवल मैक्रोटेक डेवलपर्स का पंजीकृत ट्रेडमार्क है और अभिनंदन की कंपनी को इसे उपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है। यह मुकदमा 20 जनवरी 2024 को दायर किया गया था।
मां का भावुक संदेश: राम-लक्ष्मण जैसे थे दोनों बेटे
मंजू लोधा ने अपने पत्र में अपने बेटों के बचपन की यादें साझा कीं। उन्होंने लिखा:
“जब तुम दोनों जन्मे थे, तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। तुम दोनों मेरे लिए ईश्वर का दिया हुआ सबसे बड़ा उपहार थे। तुम दोनों के बीच सिर्फ 1.5 साल का अंतर था। जब एक बीमार पड़ता, तो दूसरा भी हो जाता।
लोग कहते थे कि तुम दोनों ‘राम और लक्ष्मण’ की तरह हो। लेकिन समय हमेशा एक जैसा नहीं रहता। आज हमारा परिवार भी एक कठिन दौर से गुजर रहा है।”
उन्होंने आगे लिखा कि, उनके पति और उन्होंने मिलकर 2017 में पारिवारिक समझौता किया था, जिसमें यह साफ था कि दोनों भाइयों के व्यवसाय और संपत्तियों पर एक-दूसरे का कोई अधिकार नहीं होगा।
2015 से शुरू हुआ था विवाद
लोधा परिवार में विवाद की जड़ 2015 में पड़ी, जब दोनों भाइयों ने अपने रास्ते अलग करने का फैसला किया। इसे मार्च 2017 के परिवारिक समझौते में औपचारिक रूप दिया गया।
मंजू लोधा की अंतिम अपील
अपने पत्र के अंत में मंजू लोधा ने लिखा:
“एक माँ होने के नाते, मेरे पास जो कुछ भी है, वह अंततः तुम दोनों का ही होगा। मैं बस यही प्रार्थना करती हूँ कि तुम दोनों अपने विवादों को भूलकर अपने व्यवसायों और परिवारों का ध्यान रखो।”