कश्मीर के संवेदनशील क्षेत्र में हो रहे LoC (लाइन ऑफ कंट्रोल) फेंसिंग प्रोजेक्ट को लेकर सेना और एक सरकारी अधिकारी के बीच विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डिफेंस एस्टेट ऑफिस के असिस्टेंट अफसर द्वारा एक आर्मी कर्नल से बदसलूकी और हमले की खबर ने सोशल मीडिया पर बवाल मचा दिया है। जवानों की जवाबी कार्रवाई ने पूरे देश में बहस छेड़ दी है।
क्या है पूरा मामला?
इस पूरे घटनाक्रम का खुलासा आर्मी के पूर्व अधिकारी सुशील सिंह श्योराण ने किया, जिन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर इसका विवरण साझा किया।
प्रमुख बिंदु:
- प्रोजेक्ट: कर्नल अंकुश चौधरी के नेतृत्व में इंजीनियर रेजिमेंट को LoC पर बाड़ लगाने का कार्य सौंपा गया था। यह कदम हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद घुसपैठ को रोकने के लिए उठाया गया था।
- विवाद की जड़: असिस्टेंट डिफेंस एस्टेट ऑफिसर (ADEO) त्रियम सिंह ने इस फेंसिंग प्रोजेक्ट के लिए आवश्यक बोर्ड प्रक्रिया पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
- बात बढ़ी: जब कर्नल चौधरी ने व्यक्तिगत रूप से ADEO से मिलने की कोशिश की तो सिंह ने उनके साथ बदसलूकी की और कथित रूप से हमला किया।
- जवाबी कदम: इस घटना की जानकारी मिलने पर इंजीनियर रेजिमेंट के जवानों ने ADEO त्रियम सिंह के खिलाफ कार्रवाई की।
सोशल मीडिया पर मचा हंगामा
इस घटना ने खासकर फौजी और पूर्व फौजी समुदाय को गहराई से झकझोर दिया। सोशल मीडिया पर ‘CO के साथ बदसलूकी का मतलब सेना के सम्मान पर हमला’ जैसा माहौल बना।
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लों ने लिखा:
“जवानों के लिए CO (कमानिंग ऑफिसर) भगवान के बाद दूसरे स्थान पर होता है। उस पर हाथ उठाना गंभीर नतीजों को न्योता देना है। CO अपने जवानों की सुरक्षा के लिए जान तक देने को तैयार रहता है, और वही भावना जवानों में भी होती है।”
डिफेंस एस्टेट ऑफिस पर भ्रष्टाचार के आरोप
पूर्व सैनिक श्योराण ने यह भी आरोप लगाए कि डिफेंस एस्टेट ऑफिस में भ्रष्टाचार लंबे समय से व्याप्त है। उन्होंने कहा:
“DEO अक्सर प्रोजेक्ट्स में जानबूझकर बाधाएं डालता है ताकि रिश्वत ली जा सके। LoC पर फेंसिंग जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े कार्यों को रोकना देशद्रोह जैसा है।”
यह मामला क्यों है अहम?
- राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर: LoC फेंसिंग जैसे प्रोजेक्ट्स देश की सीमाओं को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी हैं। इसमें बाधा डालना सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
- सेना और सिविल अफसरों के रिश्ते पर सवाल: यह घटना प्रशासन और सेना के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत को उजागर करती है।
- सोशल मीडिया का प्रभाव: जैसे ही यह खबर वायरल हुई, पूरे देश में सेना के प्रति सहानुभूति और समर्थन की लहर दौड़ गई।
सवाल जो उठ रहे हैं:
- क्या ADEO पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी?
- क्या जवानों की जवाबी कार्रवाई को सेना का समर्थन मिला है?
- क्या इस घटना के बाद डिफेंस एस्टेट ऑफिस में सुधार की कोई उम्मीद है?
निष्कर्ष
यह मामला सिर्फ एक झड़प नहीं, बल्कि सेना के आत्मसम्मान और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल से जुड़ा है। अगर अधिकारी ही ऐसी परियोजनाओं में बाधा डालेंगे और सेना के अफसरों से दुर्व्यवहार करेंगे, तो यह न केवल अनुशासन का उल्लंघन है बल्कि देश के हितों के साथ विश्वासघात भी है।