रिपोर्ट- उमेश डहरिया
कोरबा। एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना द्वारा खदान विस्तार के लिए अधिग्रहित की गई जमीन के खिलाफ भू-विस्थापितों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार को एक बार फिर बड़ी संख्या में प्रभावित परिवारों ने सुभाष चौक पहुंचकर एसईसीएल प्रबंधन का पुतला दहन किया और कलेक्ट्रेट कार्यालय का घेराव कर विरोध प्रदर्शन किया।
जमीन गई, रोजगार नहीं मिला
कुसमुंडा क्षेत्र में दनेपाली, पढ़ानिया, चंद्रनगर सहित कई गांवों की कृषि भूमि को एसईसीएल ने खदान विस्तार के लिए अधिग्रहित किया है। लेकिन स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन लिए जाने के बावजूद न तो उन्हें रोजगार मिला और न ही बसाहट या समुचित मुआवजा दिया गया। इस वजह से प्रभावित परिवारों को आजीविका चलाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प
प्रदर्शन के दौरान स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई जब सैकड़ों की संख्या में भू-विस्थापित सुभाष चौक से नारेबाजी करते हुए कलेक्टरेट कार्यालय की ओर बढ़े। यहां उन्होंने मुख्य गेट पर प्रदर्शन करते हुए घेराव किया। इस दौरान पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हल्की झड़प की भी सूचना है।
लगातार हो रहे आंदोलन
यह कोई पहली बार नहीं है जब भू-विस्थापितों ने विरोध प्रदर्शन किया हो। बीते कुछ महीनों से लगातार एसईसीएल प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन तेज होता जा रहा है। प्रभावितों की मांग है कि उन्हें तत्काल नौकरी, बसाहट और उचित मुआवजा दिया जाए, ताकि वे अपने परिवार का जीवन यापन कर सकें।
प्रशासन पर भी उठे सवाल
प्रदर्शनकारियों ने प्रशासन पर भी आरोप लगाए कि वह एसईसीएल प्रबंधन के दबाव में काम कर रहा है और पीड़ितों की मांगों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो आंदोलन और उग्र किया जाएगा।