by: vijay nandan
नई दिल्ली: राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन के राणा सांगा पर दिए गए विवादित बयान को लेकर बवाल मच गया है। रामजी लाल सुमन ने 21 मार्च को राणा सांगा के बारे में एक टिप्पणी करते हुए कहा था कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत में आमंत्रित किया था। इस बयान के बाद सुमन के घर पर हमला किया गया और हंगामा बढ़ गया। इस पर विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने नाराजगी जताई और कहा कि संविधान इस तरह की हिंसा की इजाजत नहीं देता है।
खरगे ने क्या कहा?
नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “हम इस देश के उन सभी देशभक्तों का सम्मान करते हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान दी। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि कोई कानून अपने हाथ में ले और किसी के घर पर तोड़फोड़ करे। हम इस तरह की हिंसा और उग्रता की निंदा करते हैं।” खरगे ने कहा कि सुमन की टिप्पणी के बावजूद यह तरीका बिल्कुल गलत था कि उनके घर पर हमला किया गया।
उन्होंने यह भी कहा, “सांसद के घर पर हमला करना और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाना एक आपराधिक कृत्य है और इसकी हम कभी भी समर्थन नहीं करेंगे।”
राणा सांगा को लेकर क्या कहा गया?
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भी राणा सांगा को लेकर अपनी बात रखी और कहा, “राणा सांगा इस देश के हीरो थे, वे बहादुर थे और उनका देश के लिए योगदान अतुलनीय है। वह किसी एक जाति या धर्म के हीरो नहीं थे, वह हमारे देश के हीरो थे।”
वहीं, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने सुमन की टिप्पणी को निंदनीय बताया और कहा कि यह हमारे वीरों का अपमान है। उन्होंने सभापति से आग्रह किया कि सुमन की टिप्पणी की निंदा की जाए ताकि देशवासियों को सही संदेश मिले।
सपा सांसद रामजी लाल सुमन ने ये की विवादित टिप्पणी
रामजी लाल सुमन ने 21 मार्च को राज्यसभा में बयान दिया था कि राणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर को भारत में आमंत्रित किया था। उन्होंने कहा, “बीजेपी के लोग कहते हैं कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है, लेकिन हिंदुस्तान का मुसलमान बाबर को अपना आदर्श नहीं मानता, वह मोहम्मद साहब को आदर्श मानते हैं। राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था, इसलिए मुसलमान तो बाबर की औलाद हैं और तुम राणा सांगा की औलाद हो।” सुमन के इस बयान के बाद विवाद बढ़ गया और करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने उनके घर पर हमला कर दिया।

कंगना रणौत की प्रतिक्रिया:
कंगना रणौत ने रामजी लाल सुमन के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे देश के वीरों के प्रति अपमान बताया है। कंगना ने सोशल मीडिया पर लिखा, “रामजी लाल सुमन का बयान न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से गलत है, बल्कि यह हमारी संस्कृति और राष्ट्रीय सम्मान के खिलाफ भी है। राणा सांगा जैसे वीर योद्धा हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और ऐसे नेताओं को उनका अपमान करना नहीं चाहिए। हमें अपनी इतिहास की सच्चाई और हमारे वीर योद्धाओं के योगदान को सम्मान देना चाहिए।” कंगना ने यह भी कहा कि जो लोग भारतीय वीरों का अपमान करते हैं, वे देश के दुश्मन हैं।
राधा मोहन दास अग्रवाल की प्रतिक्रिया:
भा.ज.पा. सांसद राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि यदि रामजी लाल सुमन ने अपने बयान को लेकर माफी मांगी होती तो मामला सुलझ सकता था, लेकिन उन्होंने इसे जारी रखा। उन्होंने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने इस मुद्दे को उठाकर राणा सांगा का अपमान किया है और इसे कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा बताया।
अन्य सांसदों की प्रतिक्रिया:
- कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इस बयान पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा, “ऐसा बयान न केवल इतिहास को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश है, बल्कि यह हमारे समाज के बीच घृणा और विभाजन को बढ़ावा देने का काम करता है। राणा सांगा जैसे महापुरुषों के बारे में इस तरह की बात करना हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।”
- **भा.ज.पा. सांसद रघुनंदन शर्मा ने कहा, “रामजी लाल सुमन का बयान निंदनीय है। राणा सांगा की वीरता हमारे देश का गौरव है। ऐसे बयान देकर कोई भी नेता देश के वीरों का अपमान नहीं कर सकता। ऐसे बयान हमारे समाज में विभाजन का कारण बन सकते हैं, और यह हर नागरिक के लिए चिंता का विषय है।”
- जम्मू और कश्मीर के सांसद ** फारुक अब्दुल्ला ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा, “हमारे इतिहास में राणा सांगा जैसे वीर योद्धा हमेशा याद किए जाएंगे। कोई भी विवादित बयान उनके योगदान को नकार नहीं सकता। हमें एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए और देश की एकता को बनाए रखना चाहिए।”

राणा सांगा का परिचय:
राणा सांगा (1509-1527) मेवाड़ के प्रसिद्ध राजपूत राजा थे। वह राजस्थान के उदयपुर क्षेत्र के मेवाड़ राज्य के शाही परिवार से थे। उन्होंने अपनी बहादुरी और राष्ट्रभक्ति के लिए इतिहास में अपनी पहचान बनाई। राणा सांगा को विशेष रूप से उनकी शौर्य गाथाओं और मुस्लिम आक्रमणकारियों के खिलाफ संघर्ष के लिए जाना जाता है। उनका सबसे प्रसिद्ध संघर्ष पानीपत की पहली लड़ाई (1527) में बाबर के खिलाफ था, हालांकि वह इस लड़ाई में हार गए थे। उनकी वीरता और कर्तव्यनिष्ठा उन्हें भारतीय इतिहास के महान योद्धाओं में शामिल करती है। राणा सांगा की स्थिति सिर्फ मेवाड़ राज्य में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में उन्हें एक महान राष्ट्रभक्त के रूप में माना जाता है।
राणा सांगा पर की गई टिप्पणी और उसके बाद हुए विवाद ने संसद में गरमागरमी पैदा कर दी है। इस पर विभिन्न दलों के नेताओं ने अपने-अपने दृष्टिकोण से प्रतिक्रियाएं दीं, और इस पूरे मुद्दे पर विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आईं। राणा सांगा पर दिए गए रामजी लाल सुमन के बयान के बाद कंगना रणौत और विभिन्न सांसदों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। इन नेताओं ने इसे भारतीय वीरों का अपमान बताया और इस तरह के बयान को अस्वीकार्य बताया। साथ ही, देश में एकता और सामूहिक सम्मान बनाए रखने का आह्वान किया है।